कविता : कभी वक्त था कि हमें खाने का शौक़ था

कभी वक्त था कि हमें खाने का शौक़ था, श्रीमती जी को खाना बनाने का शौक़ था, हमारी फ़रमाइशों की लिस्ट लम्बी थी, तो उनकी व्यंजनों की लिस्ट लम्बी थी। अब तो खाने की लिस्ट कम हो गई है, दाल, सब्ज़ी, दो रोटी ही बहुत होती हैं, इससे ज़्यादा तो हज़म नहीं होता है, बीपी, … Continue reading कविता : कभी वक्त था कि हमें खाने का शौक़ था