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कविता : ऊँची दुकान फीका पकवान: मुहावरे और विद्यार्थी

ऊँची दुकान फीका पकवान, यानी बाहरी दिखावा अधिक हो और गुणकर्म बहुत ही कम हो, पर वास्तव में वस्तु में कुछ न हो। दिखावा ज़्यादा पर गुण कम होना, नाम के अनुसार वस्तु का ना होना, केवल दिखावटी वस्तु का होना, या आडम्बर ही आडम्बर का होना। दुकान काफी बड़ी और मशहूर हो, लेकिन दुकान […]

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मनुष्य के भीतर भगवान और प्रभु दोनों रहते हैं, बस पहचान लेने की शर्त होती है, पढ़ें रोचक प्रसंग

एक कहानी कहूं। पढ़ता था एक चित्रकार के बाबत। एक चित्र उसने बनाना चाहा था मनुष्य के भीतर दिव्य का, डिवाइन का। गया था खोज में। खोज लिया था एक व्यक्ति को, जिसकी आंखों में आकाश के जैसी नीली शांति थी। जिसके नक्श में, जिसकी रेखा-रेखा में कुछ था अलौकिक, संवेदित, जिसको देख कर लगता […]

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कविता :  ख़ुशियों से नीरसता पर विजय दिलाना होगा

ख़ुशियों से नीरसता पर विजय दिलाना होगा, होंठों पर मुस्कान सजा हर हृदय हँसाना होगा, निष्काम प्रेम, निष्काम भक्ति का पाठ पढ़ाना होगा, व्यथित हृदय होकर भी हर व्यथा भुलाना होगा। ख़ुशियों से नीरसता पर… जिसके घर बच्चे भूखे हों, राशन पहुँचाना होगा, दीन, दुखी व निबलों को जीना सिखलाना होगा, जिनकी आशा टूट चुकी […]

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