#ego god

Litreture

कविता : सब धरा का धरा पर धरा रह जाएगा,

जो बड़ेन को लघु कहें, नहिं रहीम घटि जाहिं। गिरधर मुरलीधर कहें, कछु दुःख मानत नाहिं॥ अपने अपने होते हैं, सभी अपने हैं, सबकी पसंद एक सी नहीं होती है, किसी से इज़्ज़त मांगी नहीं जाती है, अपने व्यवहार से ही कमाई जाती है। मेरा वही सम्मान का भाव भी था, प्रतिक्रिया चरण वंदन करके […]

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