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Litreture
कविता : पुरुष को सजाया स्वयं प्रकृति ने,
पुरुष को सजाया स्वयं प्रकृति ने, स्त्रियाँ तो काँच का टुकड़ा होती हैं, शृंगार की चमक पड़ने पर ही वे सुंदर और खूबसूरत दिखती हैं। परंतु पुरुष वह हीरा होता है, जो अँधेरे में भी चमकता है, उसे शृंगार करने की कभी भी कोई आवश्यकता नहीं होती है। खूबसूरत मोर होता, मोरनी नहीं मोर रंग-बिरंगा […]
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