विश्व पर्यटन दिवस: उत्पीड़न के चलते इस बार नेपाल में भारतीय पर्यटकों की संख्या हो सकती है कम

राजेश जायसवाल

सोनौली/महराजगंज। विश्व पर्यटन दिवस 27 सितंबर को भारत सहित अन्य देशों के पर्यटकों के स्वागत का नेपाल पर्यटन मंत्रालय का दावा खोखला है। सच यह है कि नेपाल जाने वाले भारतीयों का शोषण सोनौली बार्डर पार करने से ही शुरू हो जाता है। यहां टूरिस्ट के नाम पर भारतीय पर्यटकों को हर संभव मदद के नाम पर अपनी दुकानदारी चमका रहे कथित भारतीय मूल के एजेंट तक उन्हें नहीं बख्शते। बता दें कि नेपाल भारतीयों के लिए सबसे सुविधाजनक और नजदीक की विदेश की धरती है। निःसंदेह यहां पहाड़ की मनमोहक वादियों के साथ बुद्ध की जन्मस्थली लुंबिनी है जो भारत सहित बुद्ध अनुयाई वाले देशों के पर्यटकों को लुभाती है। पूर्व में विदेशी पर्यटकों के साथ जैसा मधुर व्यवहार नेपाली लोगों का होता था अब वैसा नहीं है। कम से कम भारतीयों के साथ तो कतई नहीं। आप चाहें नेपाल के बस या टैक्सी से हों या अपने निजी वाहन से भारतीय होने के नाते होटल से लेकर खाने पीने के ढाबे तक पर अपमान सहने को मजबूर होना पड़ेगा।

भारतीय नंबर के निजी वाहन से हैं तो सोनौली सीमा के बेलहिया कस्टम से ही आप के साथ भेदभाव शुरू हो जाता है। रास्ते में जितने भी पुलिस जांच सेंटर मिलेंगे,हर जगह आपके निजी वाहन की जांच में तमाम कमियां दिखा कर धन दोहन आम बात है। भारतीय वाहनों की तलाशी ऐसे होती है जैसे नेपाल में कोई आतंकी घुस आया हो। हालांकि आतंकियों की वैसी जांच नेपाल में नहीं होती,उनका स्वागत ही होता है। काठमांडू में इंज्वॉय के भी बहुत साधन हैं। यदि आप डांस बार या कैसिनो में चले गए तो इज्जत के साथ बचकर आ पाना मुश्किल है। कभी कभी होटलों में लड़कियां भेजकर आपको प्रायोजित ढंग से फंसा दिया जाता है। अब आप अपनी इज्जत बचाने के लिए वहां कोई भी शर्त मानने को मजबूर होते हैं। कुछ साल पहले नेपाल सीमा के एक जिले के जिलाधिकारी काठमांडू के कैसिनो में फंसे चुके थे। वे वहां कई दिनों तक बंधक थे। हाल के वर्षों में नेपाल में भारतीयों के साथ ऐसी बदसलूकी तब है जब भारत का नेपाल के साथ रोटी बेटी के रिश्ते का दावा है और नेपाल तमाम जरूरी आवश्यकताओं के लिए भारत पर निर्भर है। भारतीयों के साथ नेपाल में हो रही बदसलूकी के बीच विश्व पर्यटन दिवस पर भारतीयों के स्वागत का दावा थोथा नहीं तो और क्या है?

हैरत है कि नेपाल के लुंबिनी प्रदेश के पर्यटन, ग्रामीण एवं शहरी विकास मंत्रालय के सचिव जकी अहमद अंसारी यह मान रहे हैं कि नेपाल और भारत के बीच रोटी-बेटी का रिश्ता है। कहते हैं कि अब पर्यटकों से हम दिल का रिश्ता जोड़ने जा रहे हैं। पर्यटन और पर्यटक नेपाल की जमा पूंजी है।  नेपाल में भारतीयों के साथ लगातार हो रही उपेक्षा और बदसलूकी पर खामोशी है। उन्हें कौन बताए कि यहां नेपालियों से उत्पीड़ित किसी भारतीय की शिकायत तक नहीं सुनी जाती। सोनौली बार्डर के जरिए नेपाल में सर्वाधिक पर्यटक गोरखपुर/बस्ती मण्डल के साथ ही पूर्वांचल के अन्य जिलों से भी आते हैं। पशुपतिनाथ, गौतम बुद्ध और देवी सीता के इस देश में पर्यटकों को कोई दिक्कत नहीं होने देने का दावा हर बार किया जाता है लेकिन हर बार यह दावा झूठा ही होता है। पर्यटन सचिव ने कहा कि बार्डर पर दलालों द्वारा दुर्व्यवहार, भंसार लेने में दिक्कत, मनी एक्सचेंज आदि मुद्दों पर उन्होंने कहा कि इस बारे में केंद्रीय सरकार से वार्ता कर समाधान कराया जाएगा।

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