
- डीडीओ पाने के लिए प्रभारी अधीक्षक ने रोके ठेकेदारों के बिल
- भुगतान नहीं होने से ठेकेदारों ने रोकी दैनिक उपयोग के वस्तुओं की आपूर्ति
राकेश यादव
लखनऊ। जौनपुर जेल में आहरण वितरण (डीडीओ) को लेकर अधीक्षकों में घमासान मचा हुआ है। एक जेल का दो अधीक्षकों के पास प्रभार होने की वजह से जेल की पूरी व्यवस्था अस्त व्यस्त हो गई है। इस अव्यवस्था की वजह जेल प्रशासन के साथ बंदियों को तमाम तरह की समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। आलम यह हो गया है दैनिक उपयोग के लिए आने वाली वस्तुओं का भुगतान नहीं होने की वजह से ठेकेदारों ने आपूर्ति व्यवस्था को ठप्प कर दिया। भुगतान के पहले मोटा कमीशन मिलने के खेल से जेल की व्यवस्था प्रभावित हो गई हैं।
बीते दिनों कारागार मुख्यालय ने जौनपुर जेल अधीक्षक को पुलिस का सहयोग नहीं करने के आरोप में जौनपुर जेल से हटाकर कारागार मुख्यालय में अस्थाई ड्यूटी पर लगा दिया गया था। जौनपुर जेल का अतिरिक्त प्रभार गाजीपुर जेल अधीक्षक को सौंप दिया गया। सूत्रों का कहना है जेल के आहरण वितरण (डीडीओ) जेल से हटाए गए अधीक्षक के पास है। डीडीओ का प्रभार नहीं मिलने की वजह से जेल का अतिरिक्त प्रभार पाने वाले अधीक्षक भी जेल के कार्यों में कोई रुचि नहीं दिखा रहे है। गाजीपुर से जौनपुर के बीच करीब डेढ़ सौ किलोमीटर दूरी होने की वजह से उनका जौनपुर जेल पर आवागमन भी काफी कम होता है। सूत्रों का कहना है कि प्रभारी अधीक्षक ने जौनपुर जेल का डीडीओ हासिल करने के ठेकेदारों के बिल लखनऊ स्थित कारागार मुख्यालय भेजे ही नहीं। इससे जौनपुर जेल में दैनिक उपयोग की वस्तुओं की आपूर्ति करने वाले ठेकेदारों के बिलों का भुगतान नहीं हो पाया। इससे जेल की व्यवस्थाएं पूरी तरह से अस्त व्यस्त हो गई हैं।
सूत्र बताते है कि जेल का डीडीओ हासिल करने के लिए जेल का अतिरिक्त प्रभार संभाल रहे अधीक्षक ने ठेकेदारों के बिल भुगतान के लिए लखनऊ भेजे ही नहीं। आपूर्ति की गई वस्तुओं का भुगतान नहीं हो पाने की वजह से ठेकेदारों ने सामान की आपूर्ति को ठप कर दिया। खाद्य सामग्री और अन्य आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति नहीं होने से जेल संचालित करने में तमाम तरह की समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। वर्तमान समय में जौनपुर जेल का डीडीओ लखनऊ में कारागार मुख्यालय से संबद्ध अधीक्षक के पास है। वहीं जेल का अतिरिक्त प्रभार गाजीपुर जेल अधीक्षक के पास है। जेल के संचालन की जिम्मेदारी जेलर को सौंप रखी गई है।
सूत्रों की माने तो मोटे कमीशन की खातिर ठेकेदारों का भुगतान फंसा हुआ हैं। इससे पहले बांदा से मुरादाबाद स्थानांतरित किए गए अधीक्षक ने मोटे कमीशन की खातिर जेलर को आवंटित किए गए डीडीओ को मुख्यालय के एआईजी प्रशासन से कहलाकर उसके इस्तेमाल पर रोक लगवा दी थी।उधर इस संबंध में जब प्रभारी जेल अधीक्षक अरुण कुमार से बात की गई तो उन्होंने लगाए गए आरोपों को सिरे से नकारते हुए बताया कि जेल में सामानों की आपूर्ति सामान्य तरीके से चल रही है।
आईजी जेल ने नजदीक के बजाए दूर की जेल के अधीक्षक को सौंपा प्रभार
कारागार मुख्यालय के मुखिया आईजी जेल ने जौनपुर जेल अधीक्षक की तीन माह के लिए अस्थाई ड्यूटी कारागार मुख्यालय में लगाने के बाद जेल का अतिरिक्त प्रभार गाजीपुर जेल अधीक्षक को सौंप दिया है। आईजी जेल ने जौनपुर से नजदीक वाराणसी जनपद के अधिकारियों को सौंपे जाने के बजाए जौनपुर से करीब डेढ़ सौ किलोमीटर दूर गाजीपुर को सौंप दिया गया। अब इस जेल के डीडीओ को लेकर जद्दोजहद मची हुई है। गौरतलब है कि बीते दिनों फतेहगढ़ जिला जेल से अधीक्षक को हटाए जाने के बाद जिला जेल का प्रभार नजदीक स्थित सेंट्रल जेल फतेहगढ़ के अधीक्षक को सौंपा गया था।