गलत तथ्य परोस कर कुंभ को विफल बताने की साजिश : स्वामी जीतेंद्रानंद

  • गंगा महासभा ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड पर उठाए सवालः सरस्वती
  • बोर्ड के पास गंगा को लेकर यदि कोई आंकड़ा है तो वह सामने रखे
  • भयादोहन कर केवल अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी करने का खेल कर रहा है बोर्ड
  • मां गंगा को लेकर वास्तव में बोर्ड के पास कोई योजना और चिंता नहीं

आचार्य संजय तिवारी

कुंभ नगर, प्रयागराज। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा कुंभ के समय मां गंगा के जल को लेकर जारी किए गए वक्तव्य और डेटा पर गंगा महासभा ने बहुत गंभीर सवाल उठाए हैं। गंगा महासभा के राष्ट्रीय महामंत्री और अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जीतेंद्रानंद सरस्वती ने कहा है कि इस बोर्ड का एक मात्र कार्य भयादोहन कर कुछ औद्योगिक घरानों को अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी करना भर रह गया है। आज जबकि कुंभ में करोड़ों लोगों की आस्था दुनिया देख रही है, ऐसे समय में इस बोर्ड द्वारा अचानक एक आंकड़ा जारी कर गंगा के जल को प्रदूषित बताना निश्चित रूप से किसी साजिश का हिस्सा हो सकता है। स्वामी जी ने कहा कि आस्था किसी भी संस्था से बहुत विराट होती है, इस तथ्य को यह बोर्ड शायद समझ नहीं सका है।

उन्होंने कहा कि पिछले कुछ दिनों से समाचार पत्रों में एवं टीवी न्यूज़ चैनलों में गंगा जी के पानी की गुणवत्ता को लेकर सीपीसीबी की रिपोर्ट का हवाला देकर लगातार बहस की जा रही है की गंगा जी का पानी आचमन एवं नहाने योग्य नहीं है। कुछ आंकड़े भी दिए गए हैं जो की सीपीसीबी की वेबसाइट पर कहीं पर उपलब्ध नहीं है।

स्वामी जी ने कहा कि सीपीसीबी की वेबसाइट में 2023 के बाद का कोई भी आंकड़ा उपलब्ध नहीं है। तथाकथित रिपोर्ट जो की सीपीसीबी द्वारा एनजीटी को सौंप गई जिसके बेसिस पर एनजीटी ने यू पी पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड से डेटा मांगा और दोनों के डेटा मैं काफी अंतर है। गंगा महासभा के राष्ट्रीय महामंत्री ने सवाल उठाया है कि सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने गंगा जी का नमूना किस तारीख को और किस जगह से लिया है तथा उसकी जांच कब की गई और कौन सी लैब में की गई, क्या जब नमूना गंगा जी से लैब तक ले जाया गया तब सैंपलिंग हेतु कोल्ड चेन प्रक्रिया का पालन किया गया और फिर जब सैंपल की टेस्टिंग की गई तो क्या वह NABL अप्रूव्ड लब में की गई या फिर अगर कोई दूसरी लैब में की गई तो क्या हुआ माइक्रोबायोलॉजी के लिए टेस्टिंग करने के लिए समर्थ लब थी। उन्होंने कहा कि

संदेह यहां भी जाता है कि अगर अपने सैंपलिंग 20 जनवरी, या जनवरी में किसी दूसरी डेट में तो तुरंत ही उसे डाटा को पब्लिश करके पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की तरफ से सरकार को चेतावनी क्यों नहीं दी गई कि यह पानी नहाने हेतु उपयुक्त नहीं है अतः यह स्नान रुकवा दिया जाए। क्योंकि पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की यह जिम्मेदारी है कि वह हमारे देश के लोगों के स्वास्थ्य से रिलेटेड अपडेट्स त्वरित रूप से प्रसारित करें जैसे की अगर कहीं जल प्रदूषण की समस्या है या वायु प्रदूषण की समस्या है तो उसकी जानकारी तुरंत रूप से लोगों तक पहुंचानी चाहिए, परंतु गंगा जी के आंकड़ों में देरी और अनियमितता यह बताती है की यह कहीं ना कहीं कोई बड़ी साजिश का हिस्सा है।

स्वामी जी ने कहा कि जो आंकड़े प्रस्तुत किए गए उनमें लगातार दो दिनों में लगभग समान रिजल्ट्स आए हैं जिस भी एक प्रश्न प्रश्न चिन्ह खड़ा होता है की जब गंगा जी में प्रतिदिन करोड़ों की संख्या में लोग स्नान कर रहे हैं तो दो दिनों के आंकड़े कभी भी एक जैसे नहीं हो सकते क्योंकि प्रतिदिन का कॉन्टेमिनेशन अलग-अलग है, और दूसरा यह भी है कि गंगा जी में जब से महाकुंभ का आयोजन हो रहा है तब से लगभग चार लाख लीटर पानी प्रति सेकंड के प्रवाह से प्रवाहित हो रहा है जो की इतना ज्यादा पानी है की अगर उसमें कोई कॉन्टेमिनेशन हो भी रहा है तो वह तुरंत बह जाएगा।

उन्होंने बताया कि गंगा महासभा के संरक्षक स्वामी सानंद जी ने पूर्व में आईआईटी कानपुर में रहते हुए यह भी पता किया था की गंगाजल में bacteriophage और मूलत coliphage पाए जाते हैं जो की किसी भी प्रकार के बैक्टीरिया और मूलता फिकल कॉलीफॉर्म को नष्ट करने में सक्षम होते हैं। यदि केंद्रीय प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के आंकड़ों में कोई साजिश नहीं है तो उनको तात्कालिक रूप से सैंपलिंग टेस्टिंग एवं उसे लैब का विवरण के साथ पूरे कच्चे आंकड़े के साथ प्रस्तुत करना चाहिए क्योंकि उन्होंने जिस प्रकार से समाज में संदेह पैदा किया है यह उनकी रिस्पांसिबिलिटी है कि तात्कालिक रूप से इस पर प्रकाश डालें।

इसी प्रकार से उत्तर प्रदेश कंट्रोल बोर्ड भी अपने-अपने आंकड़ों को एवं सेंपलिंग से रिलेटेड सभी कच्चे डॉक्यूमेंट उपलब्ध करें जिससे कि यह स्पष्ट हो सके की किस तरीके से सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने आकड़ों के साथ छेड़खानी की है एवं समाज को भ्रमित किया है। सीपीसीबी की वेबसाइट में कही भी आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं। सीपीसीबी औद्योगिक संस्थाओं को अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी करने के अलावा कोई काम करता भी है क्या? भयादोहन का माध्यम बनता जा रहा है।

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