
- लुटेरे, डकैत तो दूर मकानों में चोरी करने वाले भी बने चुनौती
ए अहमद सौदागर
लखनऊ। राजधानी लखनऊ में पुलिस कमिश्नरेट लागू होने के बाद भी अपराधों पर लगाम नहीं लगा पा रही है। लुटेरे, डकैत ही नहीं बेखौफ चोर वारदात पर वारदात कर पुलिस को चुनौती दे रहे हैं। बंद मकानों में चोरी की घटनाएं आम हो गई है। कमिश्नरेट में खाकी के खौफ का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि बेखौफ बदमाशों ने नए साल के शुरुआती दौर से लेकर 10 फरवरी 2025 के बीच जिस से दर्जन भर बंद मकानों का ताला तोड़कर वारदात को अंजाम दिया इससे साफ है कि पुलिस का डर बदमाशों में नहीं है। यही नहीं बदमाशों ने मड़ियांव, इंदिरानगर व सरोजनीनगर क्षेत्र में लाखों की चोरी कर दुस्साहस का परिचय दिया।
गौर करें तो पुलिस कमिश्नरेट लागू होने से पहले राजधानी लखनऊ में लोगों की सुरक्षा के लिए SSP के पद पर एक IPS अफसर की तैनाती की जाती थी। उसके अधीनस्थ छह हजार से लेकर सात हजार पुलिसकर्मी तैनात रहते थे। अपराध और अपराधियों पर लगाम कसने एवं लोगों की सुरक्षा के मद्देनजर लखनऊ में कमिश्नरेट व्यवस्था लागू की गई। बताते चलें कि एडीजी रैंक के पुलिस अफसर को पुलिस कमिश्नर के पद पर तैनात करने के साथ IPS अधिकारियों की लंबी फौज है। हर जोन में डीसीपी के पद पर आईपीएस अधिकारी तैनात हैं।
इसके अलावा ADCP की कुर्सी पर भी कई आईपीएस अफसर तैनात हैं। कड़वा सच यह है कि इतने IPS अधिकारियों की तैनाती के बावजूद राजधानी लखनऊ में हत्या, लूट, डकैती ही बेखौफ चोरों का आतंक है। बीते वर्षों की बात तो दूर नए साल यानी वर्ष 2025 में जनवरी व फरवरी माह में जिस तरह से बेखौफ चोरों ने करीब दो दर्जन से अधिक बंद मकानों का ताला तोड़कर लोगों की गाढ़ी कमाई बटोर ले उड़े इससे साफ है कि अब बदमाशों के भीतर पुलिस का खौफ नहीं रह गया है।