धन की बंदरबांट के लिए नहीं हो रही आदर्श कारागार में तैनाती!

  • उधार के अधिकारियों के भरोसे चल रही प्रदेश की “मॉडल जेल”
  • दूसरी जेलों पर तैनात अधिकारियों को सौंपी गई जेल की जिम्मेदारी
  • कारागार मुख्यालय की लचर व्यवस्था से चौपट हो रहे उद्योग

लखनऊ। प्रदेश कारागार मुख्यालय में बैठे आला अधिकारी जेलों की व्यवस्थाएं सुधारने के बजाए बिगाड़ने में जुटे हुए है। राजधानी की आदर्श कारागार में अधिकारियों की तैनाती इस सच को खुद बयां कर रही है। वरिष्ठ अधीक्षक विहिन इस जेल की जिम्मेदारी विभिन्न स्थानों पर तैनात तीन अधिकारियों को सौंपी गई है। हकीकत यह है कि प्रदेश की एकमात्र “मॉडल जेल” उधार के अधिकारियों के भरोसे चल रही है। स्थाई अधिकारियों की तैनाती नहीं होने की वजह से जेल में लगे उद्योगों की व्यवस्थाएं भी अस्त व्यस्त हो गई है। कई उद्योगों में उत्पादन का काम भी ठप्प पड़ा हुआ है।

राजधानी की आदर्श कारागार प्रदेश की एक मात्र ऐसी जेल है जिसमें सिर्फ सजायाफ्ता कैदियों को ही रखा जाता है। इस जेल प्रदेश भर की जेलों से चयनित अच्छे आचरण वाले फर्स्ट अफेंडर कैदियों को ही रखा जाता है। इन कैदियों के चयन के लिए डीआईजी की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया गया है। कमेटी के चयन के बाद ही चयनित कैदियों को इस जेल में लाया जाता है। विभागीय अफसरों की खाऊं कमाऊ नीति की वजह से जेल की आदर्श व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो गई है। वर्तमान समय में इस जेल में वरिष्ठ अधीक्षक और जेलर दोनों पद रिक्त पड़े हुए हैं। कारागार मुख्यालय ने जेल की व्यवस्थाओं को संचालित करने के लिए तीन अधिकारियों की अस्थाई ड्यूटी पर लगा रखा है। जेल का प्रशासनिक व्यवस्था की जिम्मेदारी राजधानी की जिला जेल के अधीक्षक बृजेंद्र सिंह को और जेलर का प्रभार भी लखनऊ जेल के जेलर सुनील दत्त मिश्रा को सौंप रखा गया है। जेल के आहरण वितरण (डीडीओ) की जिम्मेदारी कारागार मुख्यालय के वरिष्ठ अधीक्षक को दी गई है। हकीकत यह है कि प्रदेश की आइडियल कही जाने वाली मॉडल जेल उधार के अधिकारियों के भरोसे चल रही है। इस जेल में अधीक्षक और जेलर की स्थाई तैनाती नहीं होने की वजह से कारागार में धन की लूटपाट होने का कोई जिम्मेदार नहीं है। इस अव्यवस्था की वजह से बंदी पुनर्वास के लिए चलाए जा रहे उद्योगों की हालत भी बदतर हो गई है। अस्थाई अधिकारियों ने जेल में लगे उद्योगों में लूट मचा रखी है। उधर इस संबंध में जब लखनऊ परिक्षेत्र के डीआईजी जेल रामधनी से बात करने का प्रयास किया गया तो उन्होंने भी आईजी जेल के पदचिन्हों पर चलते हुए फोन उठाने मुनासिब नहीं समझा।

अधीक्षकों की तैनाती में भी चला खेल

राजधानी की आदर्श कारागार के साथ फतेहगढ़ जिला जेल, बागपत जिला जेल, रायबरेली जिला जेल और जौनपुर जिला जेल में अधीक्षक तैनात नहीं हैं जबकि कानपुर परिक्षेत्र की फतेहगढ़ सेंट्रल जेल में वरिष्ठ अधीक्षक के साथ एक अधीक्षक को तैनात कर रखा गया है। हाल ही में रायबरेली जेल से हटाए गए अधीक्षक अमन कुमार सिंह को अधीक्षक विहिन जेलों में भेजे जाने के बजाए फतेहगढ़ सेंट्रल जेल में वरिष्ठ अधीक्षक के तैनात होने के बावजूद उन्हें अधीक्षक के पद पर तैनात कर दिया गया। फतेहगढ़ सेंट्रल जेल प्रदेश की पहली जेल होगी जिस जेल में एक के बजाए दो अधीक्षकों को जिम्मेदारी सौंपी गई होगी। कहने को तो प्रदेश में आधा दर्जन केंद्रीय कारागार है। सभी जेलों में वरिष्ठ अधीक्षक और अधीक्षक का पद सृजित किया गया है किंतु फतेहगढ़ सेंट्रल जेल को छोड़कर सभी जेलों में एक ही अधीक्षक तैनात हैं। विभाग में वरिष्ठ अधीक्षक की जेल पर अधीक्षक और अधीक्षक वाली जेल पर वरिष्ठ अधीक्षक की तैनाती का खेल पिछले काफी समय से चल रहा है।

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