
- किसी ने डाला डाका, किसी ने चंद रूपयों के खातिर की हत्या
ए अहमद सौदागर
लखनऊ। मड़ियांव पुलिस पर नवंबर 2018 में दीपावली से एक दिन पहले आगरा के सर्राफ आशीष जैन को वाहन चेकिंग के नाम पर लूटने का आरोप लगा। 28 व 29 सितंबर 2018 की रात गोमतीनगर में महिला मित्र को घर छोड़ने जा रहे एप्पल कंपनी के एरिया सेल्स मैनेजर विवेक तिवारी की गोली मारकर हत्या कर दी गई। मामले में गोमतीनगर थाने में तैनात सिपाही प्रशांत चौधरी और संदीप का नाम सामने आया तो महकमे में हड़कंप मचा।
नौ मार्च वर्ष 2019 को भी एक शर्मनाक घटना सामने आई। राजधानी की गोसाईगंज पुलिस की बेहद शर्मनाक करतूत सामने आई कि शनिवार के दिन ओमेक्स अपार्टमेंट में रहने वाले सुल्तानपुर के कोयला कारोबारी अंकित अग्रहरि के यहां छापेमारी कर पुलिस ने एक करोड़ 85 लाख रुपए की डकैती डाल दी। क्राइम ब्रांच की पड़ताल में दागी पुलिसकर्मियों की करतूत सामने आ गई। इस पूरे खेल में आशीष तिवारी, पवन मिश्र, प्रदीप भदौरिया व आनंद यादव का नाम उजागर हुआ तो मानो पुलिस विभाग के आलाधिकारी सन्न रह गए।
अक्टूबर वर्ष 2021 में कानपुर के कारोबारी मनीष गुप्ता को गोरखपुर में एक होटल में चेकिंग के नाम पर दागी पुलिसकर्मियों ने पीट-पीटकर मौत की नींद सुला दिया। राजधानी लखनऊ में हुई बहुचर्चित घटना श्रवण साहू कांड में भी पुलिसकर्मियों का नाम सामने आया तो जांच-पड़ताल के बाद तत्कालीन एसएसपी मंजिल सैनी ने तत्काल प्रभाव से बर्खास्त कर दिया।
खबर में ऊपर दर्शायी गई ये घटनाएं तो महज बानगी भर है इससे पहले भी कई बार कई दागी पुलिसकर्मी खाकी के दामन पर दाग लगा चुके हैं। चिनहट क्षेत्र के मटियारी चौराहे के पास स्थित इंडियन ओवरसीज बैंक में 21 दिसंबर 2024 की रात सेंध लगाकर हुई करोड़ों की चोरी मामले में पुलिस ने आनन-फानन में आरोपियों को पकड़कर और ढेर कर खुलासा करने का दावा किया कि इन्हीं लोगों ने इंडियन ओवरसीज बैंक में घटना को अंजाम दिया था। लेकिन कहावत नहीं बल्कि हकीकत है कि कभी-कभी शिकारी भी अपने ही बूने जाल में फंस जाता है कुछ ऐसा ही मामला इंडियन ओवरसीज बैंक कांड में सामने आया कि डीसीपी पूर्वी शशांक सिंह की स्वाट टीम भी सोना एवं चांदी में हेर-फेर कर दिया। इस रहस्य का राज उस समय खुला जब डीसीपी पूर्वी शशांक सिंह ने स्वाट टीम के तेरह पुलिसकर्मियों को लाइन हाजिर कर दिया।
बताते चलें कि इस मामले में दो आरोपियों सोविंद सन्नी दयाल को मुठभेड़ में मार गिराया था, जबकि चार आरोपियों अरविंद कुमार, बलराम कुमार, मिथुन और बिंद को गिरफ्तार कर सलाखों के पीछे भेज दिया था। बताया जा रहा है कि मुख्य आरोपी विपिन गाजीपुर जेल में बंद है। जानकार सूत्र बताते हैं कि पुलिस की खूब किरकरी हो रही है लेकिन कड़वा सच यह है कि जिन्हें किसी चीज की आदत पड़ जाए तो आखिर कैसे थमें अपराध। इस घटना ने फिलहाल एक बार फिर पुराने जख्मों को ताजा कर दिया। जब इस मामले में जिम्मेदार पुलिस के आलाधिकारियों से सवाल किया गया तो बस उनका एक ही रटा-रटाया जवाब मिलता है कि मामले की जांच-पड़ताल पूरी होने के बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी।