प्रेमी युगल के लिए हाईकोर्ट की बड़ी ख़बर- अब चार घंटे में सुरक्षा दे पुलिस

  • बिना मां-बाप की मर्ज़ी के भी एक साथ रहने पर किसी तरह की न हो असुरक्षा

नई दिल्ली। हाईकोर्ट ने प्रेमी जोड़ों की चिंता की है। उनके लिए उच्च न्यायालय (High Court) ने एक ख़ुशख़बरी दी है। माँ-बाप की मर्जी के बगैर घर छोड़कर भागने वाले प्रेमी जोड़ों के लिए सूबे की सर्वोच्च कचहरी ने एक बड़ा फैसला किया है। ऐसे मामलों से निपटने के लिए 12 गाइडलाइंस जारी की है। बताते चलें कि पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में हर दिन करीब 90 से अधिक याचिकाएं ऐसी आ रही है, जिसमें घर छोड़कर भागने वाले प्रेमी जोड़े सुरक्षा की मांग करते हैं। हाईकोर्ट ने कहा कि इन 12 गाइडलाइंस का पालन करने से करीब चार घंटे रोज़ बच जाएंगे और लोगों को सुविधाएँ भी मिल जाएँगी।

जस्टिस संदीप मुद्गिल की बेंच ने कहा कि पुलिस को ऐसे मामलों में तत्काल प्रभाव से ऐक्शन लेना चाहिए। अदालत तो आखिरी विकल्प है, जहां तभी पहुंचना चाहिए, जब कहीं कोई सुनवाई न हो रही हो। जस्टिस मुद्गिल ने कहा कि संवैधानिक अदालतों का तो काम ही है कि वे नागरिकों सुरक्षा प्रदान करें। वे जब भी खतरे में हों तो उनकी सुरक्षा के लिए मौजूद रहें। लेकिन हर दिन ऐसे मामले बड़ी संख्या में अदालत पहुंचे तो वह भी सही नहीं है। इसमें भी अदालत का चार घंटे का वक्त डेली बर्बाद होता है। इसलिए हम एक मेकेनिज्म तैयार करते हैं, जिसके आधार पर पुलिस ऐक्शन ले सकती है।

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उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में पहला ऐक्शन पुलिस और प्रशासन की तरफ से होना चाहिए। यह तभी हो, जब उन्हें किसी की ओर से खतरे की सूचना प्राप्त हो। लेकिन ऐसे मामले यदि अदालत में आते हैं तो वक्त की बर्बादी होती है। पहले ही अदालत पर तमाम केसों का बोझ है। ऐसे में एक मेकेनिज्म के तहत काम होना चाहिए।

बेंच ने कहा कि ऐसे मामलों के निपटारे के लिए हर जिला मुख्यालय में एक नोडल अधिकारी की तैनाती होनी चाहिए। यह अधिकारी ASI से नीचे की रैंक का नहीं होना चाहिए। यह आदेश हरियाणा, पंजाब और चंडीगढ़ के लिए लागू होता है। बेंच ने कहा कि यदि नियमों का पालन कर लिया जाए तो फिर अदालत का हर दिन चार घंटे का समय बचेगा।

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बेंच ने कहा कि हमारे पास इस समय में पुराने केसों को निपटाने की सुविधा रहेगी, जो लंबे समय से अटके हैं। जस्टिस मुद्गिल ने कहा कि संविधान का आर्टिकल 21 किसी भी व्यक्ति को जीवन और व्यक्तिगत आजादी देता है। ऐसे में यदि प्रेम विवाह करने या उसका फैसला करने के कारण किसी की जान को खतरा है तो फिर प्रशासन की यह जिम्मेदारी है कि संबंधित लोगों को सुरक्षा प्रदान की जाए।

 

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