- कारागार विभाग का कारनामा
- रायबरेली जेल में घटना के बाद नहीं हुई कोई कार्यवाही
- प्रयागराज, मैनपुरी, झांसी, मऊ इटावा, महोबा, लखनऊ घटनाओं पर मुख्यालय की चुप्पी
लखनऊ। प्रदेश के कारागार विभाग में सिर्फ उन्हीं घटनाओं पर कार्यवाही होती है जो घटनाएं सुर्खियों में आती है। सम्भल घटना के आरोपियों की अवैध मुलाकात के मामले में तो कार्यवाही की गई लेकिन रायबरेली, मैनपुरी, झांसी जेल में कई सनसनीखेज घटनाएं होने के बाद भी न तो शासन और न ही जेल मुख्यालय में बैठे अफसरों ने कोई कार्यवाही की। यह मामला विभागीय अधिकारियों और कर्मियों में चर्चा का विषय बना हुआ है। इसको लेकर तमाम तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। चर्चा है कि इस विभाग के आला अफसरों को नियमों की जानकारी के अभाव में सिर्फ मुंह देखकर कार्यवाही की जाती है।
सम्भल में उपद्रव और बवाल के बाद गिरफ्तार किए गए लोगों में सम्भल में जेल नहीं होने के कारण मुरादाबाद जेल भेजा गया। सपा के नेताओं की उपद्रवियों से मुलाकात के बाद के वीडियो वायरल कर दिया। वीडियो वायरल होने के बाद हरकत में आए अधिकारियों ने आनन फानन में मुरादाबाद जेल के जेलर और मुलाकात प्रभारी डिप्टी जेलर को निलंबित कर दिया। इस कार्यवाही से विभागीय अधिकारियों और कर्मियों में हड़कंप मच गया।
सूत्रों का कहना है कि जेल में बंद बंदियों को परिजनों, रिश्तेदारों और अधिवक्ताओं से मुलाकात करने का प्रावधान है। राजनैतिक, धार्मिक और जाति के लोगों को बंदियों से मिलने का जेल मैनुअल में कोई प्रावधान ही नहीं है। मामला संवेदनशील होने के कारण मुलाकात के बाद वायरल हुए वीडियो को संज्ञान में लेकर कारागार मुख्यालय ने यह कार्यवाही की है। बताया गया है कि अवैध मुलाकात पर तो दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही कर दी गई, किंतु रायबरेली जेल में बंदी की आत्महत्या के मामले में दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही करने के बजाए उन्हें बचा लिया गया। ऐसा तब किया गया जब बंदी को बैरेक में होना चाहिए था तब वह महिला बैरेक और अस्पताल के बीच दीवानी के पास जाता दिखाई पड़ा था। इसी प्रकार मैनपुरी और झांसी जेल में 48 घंटे के अंदर दो दो बंदियों की मौत हो गई। इसके साथ ही इटावा, महोबा, मऊ प्रयागराज में भी घटनाओं के बाद आज तक कोई कार्यवाही नहीं की गई है। यह मामले विभागीय अधिकारियों और कर्मियों में चर्चा का विषय बने हुए हैं।
जिम्मेदार अफसर नहीं उठाते फोन
मुरादाबाद जेल में अवैध मुलाकात पर कार्यवाही और अन्य जेलों में गलत रिहाई, मौत और आत्महत्याओं की घटनाओं पर कार्यवाही के संबंध में जब प्रभारी डीआईजी जेल मुख्यालय रामधनी से बात करने का प्रयास किया तो उनका फोन ही नहीं उठा। मुख्यालय के एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी ने इसे शासन का मामला बताते हुए कोई भी टिप्पणी करने से ही मना का दिया।