- प्रदेश की एक तिहाई जेलों में आज भी हो रही खुली मुलाकात
- सुरक्षा के नाम पर बंदियों के परिजनों का हो रहा शोषण
राकेश यादव
लखनऊ। कारागार मुख्यालय बंदियों के परिजनों के साथ दोहरा मापदंड अपना रहा है। मुलाकात के मामले में एक ओर बंदियों की जेल के अंदर खुले में बैठकर मुलाकात कराई जा रही हैं, वही दूसरी ओर कुछ चंद जेलों में बंदियों की मुलाकात जाली वाले मुलाकात घर में कराई जा रही है। खुलेआम हो रहे मानवाधिकार हनन का यह मामला विभागीय अफसरों में चर्चा का विषय बना हुआ है। इसको लेकर तमाम तरह के कयास लगाए जा रहे हैं।
प्रदेश में वर्तमान समय में करीब 73 कारागार हैं। इसमें 68 जिला जेल और छह केंद्रीय कारागार के साथ एक आदर्श कारागार है। जिला जेल में विचाधीन बंदियों, केंद्रीय कारागार में सजायाफ्ता कैदियों को रखा जाता है। आदर्श कारागार प्रदेश के एकमात्र कारागार है जहां पर प्रदेश भर की जेलों से चयनित अच्छे आचरण (फर्स्ट अफेंडर) कैदियों को रखा जाता है। आदर्श कारागार और केंद्रीय कारागारों में जिला जेलों की अपेक्षा में मुलाकातियों की संख्या काफी कम होती है।
सूत्रों के मुताबिक वर्ष 1999- 2000 में जेलों में अनाधिकृत वस्तुओं के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने के लिए प्रदेश की करीब एक दर्जन से कम जेलों में जाली वाले मुलाकातघरों का निर्माण कराया गया था। राजधानी लखनऊ, गाजियाबाद समेत प्रदेश की 10 अतिसंवेदनशील जेलों में मुलाकात के लिए जाली वाले मुलाकात घर बनवाए गए थे। इसमें बंदियों के परिजनों की मुलाकात कराई जा रही है। वही प्रदेश की करीब 50 से अधिक जेलों में बंदियों के परिजनों की मुलाकात आज भी जेल के अंदर कराई जाती है। कारागार प्रशासन के दोहरे मापदंड से मुलाकातियो में खासा आक्रोश व्याप्त है। बंदियों के परिजनों का आरोप है कि जेल प्रशासन खुलेआम बंदियों के परिजनों के मानवाधिकारों का हनन कर रहा है। उधर इस संबंध में जब विभाग के मुखिया डीजी पुलिस/आईजी जेल पीवी रामाशास्त्री से संपर्क करने का प्रयास किया गया तो कई प्रयासों के बाद भी उनका फोन नहीं उठा।
अफसरों की कमाई का जरिया बने जाली वाले मुलाकातघर
प्रदेश की अतिसंवेदनशील जेलों में बनाए गए जाली वाले मुलाकातघर जिस उद्देश्य को लेकर बनाए गए थे वह तो पूरा नहीं हुआ। हां यह जरूर है कि यह मुलाकातघर जेल अफसरों की कमाई का जरिया जरूर बन गए है। जालीनुमा मुलाकातघर वाली जेलों में खुली मुलाकात के लिए शासन, मुख्यालय स्तर पर सिफारिशें भी बहुत होती है। सिफारिशों के अलावा जेल अधिकारी मौके का फायदा उठाकर अन्य लोगों की मुलाकात भी जेल के अंदर कराकर उनसे मोटी रकम वसूल लेते है। इसकी शिकायत लगातार विभाग के उच्च अफसरों को मिल भी रही है। जाली वाले मुलाकातघर वाली जेलों के अफसरों से जब यह सवाल किया गया कि अब तक कितनी आपत्तिजनक वस्तुएं बरामद हो चुकी हैं। इस सवाल का कोई भी अफसर संतोषजनक जवाब नहीं दे पाया।