- फरेंदा को जिला बनाने के लिए साल 1995 में सपा के लक्ष्मीपुर के विधायक अखिलेश सिंह ने किया था बड़ा जनआंदोलन
- अखिलेश सिंह द्वारा उस वक्त किया गया जनआंदोलन आज रंग लाया
महराजगंज। उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी (BSP) सुप्रीमो मायावती के बाद कोई नया जिला सृजित नहीं हो सका। हालाँकि नए ज़िले के गाहे-बगाहे बड़े आंदोलन होते रहे। इसी सूची में शामिल है भारत-नेपाल सीमा पर बसे ज़िले महराजगंज का नाम। यहाँ की दो तहसील फरेंदा और नौतनवां तथा गोरखपुर जिले की एक तहसील कैंपियरगंज को मिलाकर एक नया जिला फरेंदा बनाए जाने की चर्चा काफी तेज हो गई है। हालाँकि राजस्व ज़िले में शामिल होने के बाद यह जिला भी काफ़ी छोटा हो जाएगा।
मिली जानकारी के मुताबिक इस संबंध में लखनऊ से गोरखपुर तक पत्राचार शुरु हो चुका है। राजस्व परिषद के आयुक्त एवं सचिव ने एक पत्र इस बावत गोरखपुर के जिलाधिकारी को लिखा है। इस संबंध में अपनी आख्या एवं सुस्पष्ट संस्तुति गोरखपुर के मंडलायुक्त के माध्यम से शासन को भेजने को कहा है।
बता दें कि उत्तर प्रदेश को जल्द ही एक और जिला मिलने जा रहा है। प्रदेश में वर्तमान में अभी 75 जिले हैं। ऐसे में अगर एक और जिला बनता है तो प्रदेश में कुल 76 जिले हो जाएंगे। राजस्व विभाग ने गोरखपुर के जिलाधिकारी को पत्र लिखकर फरेंदा को जिला बनाने के लिए प्रस्ताव मांगा है। महराजगंज जिले की तहसील फरेंदा और नौतनवां तथा गोरखपुर जिले की कैंपियरगंज तहसील को मिलाकर फरेंदा को प्रदेश का 76 वां जिला बनाए जाने की तैयारी है। इसके लिए राजस्व विभाग ने गोरखपुर के जिलाधिकारी को पत्र लिखकर प्रस्ताव मांगा है। ऐसे में अब फरेंदा अगर नया जिला बनता है तो प्रदेश में कुल ज़िलों की संख्या 76 हो जाएगी।
बता दें कि फरेंदा को जिला बनाने के लिए साल 1995 में महराजगंज जिले की लक्ष्मीपुर विधान सभा क्षेत्र के समाजसेवी पार्टी के विधायक कुंवर अखिलेश सिंह ने नौतनवां से लेकर फरेंदा तक एक बड़ा जनआंदोलन किया था। उस समय प्रदेश में सपा की सरकार थी और मुलायम सिंह यादव प्रदेश के मुख्यमंत्री थे।
पूर्व सांसद कुंवर अखिलेश से फरेंदा को जिला बनाए जाने की शासन द्वारा कवायद शुरू करने पर प्रतिक्रिया जाननी चाही तो उन्होंने कहा कि फरेंदा तो साल 1989 में ही जिला हो जाना चाहिए था पर पर किसी कारण नहीं बन पाया। आज अगर फरेंदा जिला बन रहा है तो वह साल 1995 के उस जनआंदोलन की जीत है जिसमें हजारों की संख्या में नौजवान, किसान और व्यापारियों ने नौतनवां से लेकर फरेंदा तक उसमें हिसा लिया था। फरेंदा को जिला बनाए जाने की मांग सबसे पहले मैंने ही की थी।