ज्योतिषाचार्य डॉ उमाशंकर मिश्र –9415087711
कुंडली में बृहस्पति की दशा का सबसे ज्यादा असर महिलाओं की शादी और शादीशुदा जिंदगी पर पड़ता है. लेकिन पुरुषों के लिए भी यह बहुत महत्वपूर्ण है. आइए जानें ज्योतिष में बृहस्पति का शादी से क्या संबंध है…
- ज्योतिष में बृहस्पति का स्थान क्या है और क्या है इसका महत्व :
((1))—-• नवग्रहों में बृहस्पति को गुरु और मंत्रणा का कारक माना जाता है.
((2))—-• पीला रंग, स्वर्ण, वित्त और कोष, कानून और धर्म को नियंत्रित करता है बृहस्पति.
((3))—-•यह ज्ञान, मंत्र और संस्कारों को भी नियंत्रित करता है.
((4))—• शरीर में पाचन तंत्र, मोटापा और आयु की सीमा बृहस्पति ही तय करता है.
((5))—-• पांच तत्वों में आकाश तत्व का अधिपति है बृहस्पति.
((6))—• इसलिए बृहस्पति का प्रभाव बहुत ही व्यापक और विराट होता है.
((7))—-• विवाह के मामले में बृहस्पति की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है.
- महिलाओं के विवाह को बृहस्पति कैसे प्रभावित करता है :
((1))—-•कमजोर बृहस्पति की वजह से महिलाओं का न तो विवाह होगा और न ही चलेगा.
((2))—• बृहस्पति कमजोर हो तो शादी में बहुत देरी होती है.
((3))—•बृहस्पति खराब हो तो वैवाहिक जीवन में कष्ट सहना पड़ता है.
((4))—-• दूषित बृहस्पति महिलाओं के चरित्र को कमजोर बना देता है.
((5))—• बृहस्पति जरा भी ठीक हो तो विवाह और वैवाहिक जीवन को ठीक रखता है.
- तो आइये जानते है, कि महिलाएं बृहस्पति को कैसे मजबूत करें :
((1))—-•रोज सुबह सूर्य को हल्दी मिलाकर जल चढ़ाएं.
((2))—•विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें और सात्विक भोजन करें.
((3))—• हफ्ते में एक बार धर्मिक स्थान पर जरूर जाएं.
- अब बृहस्पति पुरुषों के विवाह को कैसे प्रभावित करता है ये भी जानइये:
((1))—• आमतौर पर पुरुषों का विवाह शुक्र पर निर्भर करता है.
((2))—• लेकिन पत्नी के बारे में सारी जानकारी बृहस्पति से ही मिलती है.
((3))—• पत्नी का रंग ,रूप, स्वभाव और तालमेल बृहस्पति से जान सकते हैं.
((4))—•बृहस्पति कमजोर या मध्यम हो तो साधारण पत्नी मिलती है.
((5))—•बृहस्पति खराब या दूषित हो तो उपद्रवी पत्नी मिलती है.
((6))—• मजबूत बृहस्पति हो तो पत्नी अच्छी मगर नियंत्रण करने वाली होती है.
- पुरुष बृहस्पति को कैसे मजबूत करें :
((1))–• सुबह जल्दी उठने की आदत डालें.
((2))—• रोज सुबह और शाम 108 बार ‘नमः शिवाय’ का जाप करें.
((3))—•सात्विक भोजन करें और फल वाले वृक्ष लगवाएं.
((4))—•गले में बिना कारण माला न पहनें.*****