निलंबित होने वाले अफसर को प्रमोशन देने की तैयारी!

चहेतों को बचाने में जेल के आला अफसरों को हासिल महारत

शासन की रिपोर्ट के बाद भी नहीं की गई कोई कार्यवाही

लखनऊ। शासन में बैठे कारागार विभाग के आला अफसरों को चहेते अफसरों को बचाने महारत हासिल है। यह बात सुनने और पढ़ने में भले ही अटपटी लगे लेकिन दस्तावेज इस सच की पुष्टि करते हैं। शासन की रिपोर्ट के बाद चार जेल अधीक्षकों को तो निलंबित कर दिया गया। किंतु लखनऊ जेल अधीक्षक को बचा लिया गया। ऐसा तब किया गया जब इस अधीक्षक के खिलाफ पूर्व में दो गंभीर प्रकरणों में निलंबित किए जाने की संस्तुति की जा चुकी थी। उधर इस मामले में विभाग के आला अफसर कोई भी टिप्पणी करने से बचते नजर आए।

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक प्रदेश की बहुचर्चित चित्रकूट, नैनी (प्रयागराज), बरेली और बांदा घटनाओं के बाद उच्च स्तर से शासन ने एक कई जेलों की गोपनीय जांच कराई। इस जांच में बांदा, चित्रकूट, बरेली, नैनी और लखनऊ जेल अधीक्षक को दोषी ठहराते हुए इनको निलंबित कर इनके खिलाफ अनुशासनिक, कठोर कार्यवाही के साथ एफआईआर दर्ज कराए जाने के निर्देश दिए। इसमें बांदा के तत्कालीन अधीक्षक अविनाश गौतम, चित्रकूट के अशोक सागर, नैनी के शशिकांत सिंह और बरेली के राजीव शुक्ला को निलंबित कर विभागीय करने का का आदेश जारी किया गया, किंतु लखनऊ जेल के तत्कालीन अधीक्षक आशीष तिवारी को बचा लिया गया। ऐसा तब किया गया जब लखनऊ जेल अधीक्षक के खिलाफ पूर्व में दो मामलों में निलंबन की संस्तुति की जा चुकी थी। कार्यवाही करने के बजाए इन्हे प्राइज पोस्टिंग जरूर दे दी गई।

सूत्र बताते है कि लखनऊ जेल अधीक्षक आशीष तिवारी के करीब चार साल के कार्यकाल में दर्जनों गंभीर घटनाएं हुई। इसमें शाइन सिटी पावर ऑफ अटॉर्नी, ढाका से बांग्लादेशी बंदियों की फंडिंग, गल्ला गोदाम से 35 लाख की नगद बरामदगी, जेल से पूर्व मंत्री के वाराणसी के व्यापारी को धमकी, विदेशी बंदी की गलत रिहाई सरीखे कई मामले सुर्खियों में रहे। इन मामलों की जांच परिक्षेत्र के तत्कालीन डीआईजी ने की। जांच में दोषी ठहराते हुए कई प्रकरण में निलंबित किए जाने के साथ विभागीय कार्यवाही किए जाने की संस्तुति तक की गई। शासन में बैठे विभाग के मुखिया समेत अन्य आला अफसरो ने कार्यवाही करने के बजाए इन्हें बचाने में जुटे रहे। दोषी अधीक्षक के खिलाफ कार्यवाही करने के बजाए उन्हें प्राइज पोस्टिंग देते हुए सेंट्रल जेल फतेहगढ़ स्थानांतरित कर दिया गया। उधर इस संबंध में जब प्रमुख सचिव/ महानिदेशक कारागार राजेश कुमार सिंह से बात करने का प्रयास किया गया तो उन्होंने फोन ही नहीं उठाया।

अफसरों को सजा के बजाए मिलता तोहफा!

शासन में वरिष्ठ अधीक्षक ग्रेड टू से डीआईजी पद पर प्रोन्नति प्रक्रिया पूरी हो गई। अब वरिष्ठ अधीक्षक ग्रेड वन से वरिष्ठ अधीक्षक ग्रेड टू पद पर प्रोन्नति की तैयारी चल रही है। इसकी लगभग सभी तैयारियां पूरी कर ली गई है। प्रोन्नति के लिए डीपीसी (डिपार्टमेंटल प्रमोशन कमेटी) की बैठक कभी भी बुलाई जा सकती है। डीपीसी की बैठक में दागदार अफसरों के प्रमोशन होने की प्रबल संभावना व्यक्त की जा रही है। चर्चा है कि विभाग में सेटिंग-गेटिंग रखने वाले अफसर के खिलाफ कार्यवाही भले ही न हो किंतु प्रोन्नति जरूर मिल जाती है। विभाग में ऐसा पूर्व में भी कई बार हो चुका है।

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