*मंगल दोष परिहार ***
((ज्योतिषाचार्य डॉ उमाशंकर मिश्रा -9415 087711))-
मंगल दोष परिहार: यद्यपि ये शास्त्र सम्मत नही है।
01 दूसरे जातक की कुण्डली मे मंगल के स्थान पर शनि हो, तो मंगल दोष नही रहता है।
02 कुण्डली मे लग्न मे मेष, चतुर्थ मे वृश्चिक, सप्तम मे मकर, अष्टम मे कर्क और द्वादश मे धनु राशि का मंगल वैवाहिक जीवन नष्ट नही करता है। स्वक्षेत्री या उच्च तथा अष्टम मे नीच, सूर्य से अस्त मंगल दोष हीन होता है।
03 कुम्भ विवाह: कर्मकाण्ड के रूप मे मांगलिक पहले पीपल वृक्ष या केला वृक्ष या चांदी/सोना की विष्णु की पीपल वृक्ष या केला वृक्ष या चांदी/सोना की विष्णु कन्या से विवाह करे तो मंगल दोष प्रभाव हीन हो जाता है।
04 मांगलिक की उम्र 28 वर्ष से अधिक व मेलापक गुण 25 से अधिक होने पर मंगल दोष का प्रभाव स्वल्प रहता है। दोनो के राशि स्वामी एक होने पर भी मंगल दोष स्वल्प रहता है।
05 मेष लग्न मे मंगल और चन्द्र की युति होने पर मंगल दोष समाप्त मानते है जो शास्त्र सम्मत नही है।