- सभी दलों के प्रत्याशियों की किस्मत हुई ईवीएम मशीन में कैद
- तीन दिन तीस दिन के बराबर गुड़ा गणित लगाने में जुटे महारथी
- नतीजे आए नहीं, अपनी-अपनी जीत पक्की होने की रणनीत शुरू
ए अहमद सौदागर
लखनऊ। लोकसभा चुनाव का आखिरी महारण शनिवार को संपन्न हो गया। मैदान में उतरे सभी प्रत्याशियों की किस्मत ईवीएम मशीन में कैद तो हो गई, लेकिन इनके लिए तीन दिन तीस दिन के बराबर नजर आ रहा है।
अपनी जीत हासिल करने के लिए कोई दिग्गज मौन धारण किया तो कोई मंदिर और दरगाह शरीफ की दहलीज पर कदम रख मत्था टेकता नज़र आ रहा है।
वहीं भाजपा और महागठबंधन के बीच जुबानी जुमले खूब बरस रहे हैं। नतीजे आगामी चार जून को आने हैं, लेकिन सियासी दलों में इस बात की खूब हलचल है कि हम अबकी बार माननीय जरुर बनेंगे। इस ख्वाब में फिलहाल जोरों से खिचड़ी पक रही है।
जानकार बताते हैं कि पक्ष-विपक्ष की बैठकें शुरू हो गई और अपने पाले लाने के लिए खींचतान भी शुरू हो गई है।
जातिगत आधार पर कुछ ऐसे दल हैं जो हर चुनाव में किसी न किसी दल से गठबंधन कर के ही मैदान उतरते हैं।
बड़े दल भी खास बिरादरी को साधने की रणनीति के तहत ऐसे दलों को साथ ले ही लेते हैं।