लखनऊ की कचहरी में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुख्यात अपराधी संजीव जीवा पर वर्षी गोलियां
लखनऊ। राजधानी के कैसरबाग स्थित दीवानी कचहरी कोर्ट में सरेआम हुए हत्या के बाद एक बार फिर सुरक्षा व्यवस्था सवालों के घेरे में है। कुछ दिन पहले प्रयागराज के कुख्यात माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ को पत्रकार बनकर गए तीन सिरफिरो ने मार गिराया था। इस बार वकील बन कर गए युवक ने पश्चिम के कुख्यात माफिया संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा को मार गिराया है। सवाल उठता है कि क्या सूबे की सुरक्षा व्यवस्था इतनी लचर है जो कचहरी, अस्पताल और सार्वजनिक जगहों पर आम आदमी तो दूर माफिया की सुरक्षा भी नहीं कर पा रही है।
गौरतलब है कि साल 2017 में जब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में योगी आदित्यनाथ ने शपथ ली थी, तभी उन्होंने माफिया के कमर तोड़ने की कसम खाई थी। उन्होंने माफिया पर कहर बरपाया। जेल भिजवाया। घर नीलाम करवाई। संपत्तियां कुर्क कराई और किसी भी कीमत पर माफ न करने की नीति पर अडिग रहें। लेकिन इस बार न्याय के मंदिर में हुए इस गोलीकांड में उत्तर प्रदेश की सुरक्षा के पोल को खोल कर रख दिया है।
वरिष्ठ पत्रकार अशोक राजपूत इस पर चुटकी लेते हैं- चलिए पत्रकारों पर लगा दाग धुल तो गया। अबकी वकील वेषधारी युवक हत्यारा है। लेकिन उनका यह व्यंग सरकार के सुरक्षा व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा करता है।
पता चला कि इस गोलीकांड में अपराधी संजीव जीवा के साथ-साथ दो सिपाही और एक सौरभ नाम का बच्चा भी घायल हुआ है। बच्चे को बलरामपुर अस्पताल में भर्ती कराया गया है। जहां उसकी जांच पड़ताल चल रही है और घायल सिपाहियों का इलाज भी वहीं चल रहा है। गोलीकांड के बाद संजीव जीवा को तुरंत पुलिस स्ट्रेचर पर लादकर आईसीयू तक ले गई है। वह जिंदा है या मुर्दा यह बता पाना अभी तक संभव नहीं है। यह वही संजीव जीवा है, जिसने भाजपा के पूर्व मंत्री ब्रह्मदत्त द्विवेदी की हत्या करवा दी थी। पूर्वांचल के कद्दावर नेता और भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की हत्या के बाद बोनट पर बैठकर AK-47 लहराते हुए गया था।
कुछ दिनों तक आतंक का पर्याय बन चुका संजीव जीवा लखनऊ जेल में अपने दिन काट रहा था। आज यानी सात जून बुधवार को उसकी मौत वकील के भेष में न्याय के मंदिर पहुंच गई, जहां उसे काल के गाल तक भेजा जा चुका है। वह जिंदा है या नहीं इसकी खबर मिलते ही आप तक पहुंचा दी जाएगी।
संजीव के बारे में बताया जा रहा है कि संजीव जीवा पूर्वांचल के कुख्यात प्रेम प्रकाश सिंह उर्फ मुन्ना बजरंगी का करीबी था। मुन्ना बजरंगी को मऊ के ‘मुख्तार’ अंसारी का दाया हाथ कहा जाता था। एक दिन पहले कोर्ट ने मुख्तार अंसारी को भी 45 साल पुराने अवधेश राय हत्याकांड में दोषी ठहराया है। गौरतलब है कि अपने शुरुआती जीवन में संजीव माहेश्वरी एक साधारण सा कंपाउंडर था। उसके मन में पैसे की लालच आई तो उसने अपने मालिक को ही अगवा कर लिया था। पैसे न मिलने की स्थिति में उनकी हत्या कर दी थी। जीवा की पत्नी पायल माहेश्वरी साल 2017 के चुनाव में राष्ट्रीय लोक दल के टिकट पर चुनाव लड़ चुकी है। उसने कुछ दिन पहले भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ को एक पत्र लिखा था और सुरक्षा की गुहार लगाई थी। अपने पत्र में सीजीआई को लिखा था कि हमारे पति को जान का खतरा है कृपया संबंधित अधिकारियों को उनकी सुरक्षा व्यवस्था दुरुस्त कराने के लिए निर्देशित करने की कृपा करें। अब संजीव पर गोली चल चुकी है इसलिए सुरक्षा व्यवस्था की चर्चा पूरे उत्तर प्रदेश में जोरों से चल रही है।
वरिष्ठ समाजसेवी रत्नेश कुमार कहते हैं कि बड़े माफिया को खत्म करने के चक्कर में नए अपराधी पैदा हो रहे हैं। इस पर रोक लगाना बहुत जरूरी है अन्यथा आने वाली पीढ़ी फिर अपराध ग्रस्त हो जाएगी।
वकील की ड्रेस मे आए गोली चलाने वाले एक शूटर को वकीलों ने पकड़ लिया है। कुख्यात संजीव के हत्यारे की पहचान विजय यादव पुत्र श्यामा यादव निवासी केराकत जिला जौनपुर के रूप में हुई है। पुलिस छानबीन में जुटी है। अभी कुछ देर में और जानकारियां सामने आएंगी।