कानूनी जटिलताओं का समाधान निकालें CJI: द्रौपदी मुर्मू

  • राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने रांची में देश के सबसे बड़े हाई कोर्ट परिसर का किया उद्घाटन,
  • न्याय प्रक्रिया में स्थानीय भाषा का प्रयोग हो: कानून मंत्री,
  • निचली अदालतों में महिला शौचालयों की संरचना बढ़ानी होगी: CJI

नया लुक ब्यूरो


रांची। तीन दिवसीय झारखण्ड दौरे पर बुधवार को राँची पहुंची राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने झारखण्ड को नए हाईकोर्ट परिसर की सौगात दी और इसका लोकार्पण किया। झारखण्ड के नए और भव्य हाईकोर्ट परिसर के उद्घाटन समारोह में राष्ट्रपति के अलावा चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़, केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और राज्यपाल राधाकृष्णन भी मौजूद रहे।

हाईकोर्ट परिसर का उद्घाटन करते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने न्यायिक प्रक्रिया की जटिलताओं का खास उल्लेख किया। न्यायिक प्रक्रिया की जटिलताओं पर बात करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि हमें भरोसा है कि न्यायिक प्रक्रिया की इन जटिलताओं में बदलाव आएगा। उन्होंने कहा कि सीजेआई, कानून मंत्री सहित अन्य कानून के जानकार लोग यहां मौजूद हैं, उन्हें इस समस्या का समाधान निकालना होगा। इस मौके पर केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि न्यायिक प्रक्रिया में स्थानीय भाषा का अधिक से अधिक उपयोग होना चाहिए, इससे लोगों का न्यायिक प्रक्रिया में भरोसा बढ़ेगा। उच्च न्यायिक सेवा आदिवासी समुदाय के प्रतिनिधित्व पर चिंता जाहिर करते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राज्यों की न्यायिक सेवा में आरक्षण लागू करने की वकालत की।

न्यायिक व्यवस्था में देश की नागरिकों की आस्था पर बात करते हुए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि देश के नागरिकों को भारत की न्यायिक व्यवस्था में आस्था और इस आस्था को कायम रखने की जरूरत है। सीजेआई ने कहा कि अगर किसी को शीघ्र न्याय नहीं मिलेगा तो वह न्याय व्यवस्था में विश्वास क्यों रखेगा। उन्होंने कहा कि निचली अदालत को अधीनस्थ नहीं मानते हुए बराबरी का दर्जा देना होगा, जिससे जज की गरिमा और गौरव बरकरार रहे। उन्होंने आगे कहा कि कई निचली अदालत में महिला शौचालय नहीं हैं, इसकी संरचना बढ़ानी होनी, क्योंकि ये कोर्ट नागरिको से सीधे जुड़े हैं। उन्होंने ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने हिंदी भाषा मे आदेश को अनुवाद करने का काम भी शुरू किया है। उन्होंने कहा कि ई-कोर्ट की लाइव सुनवाई से हम लोगों तक पहुँच रहे हैं और यह जरूरी भी है। उन्होंने एआई की मदद से 6 हजार आदेश का अनुवाद किया गया है। ई-कोर्ट के फेज तीन के लिए केंद्र सरकार ने हमें 7000 करोड़ प्रदान किए हैं, जो न्याय व्यवस्था मे तकनीक के इस्तेमाल करने मे सहयोग करेगी। जिसे हम न्याय को नागरिको तक ले जा पाएंगे।

नए हाईकोर्ट भवन की खास बातें

165 एकड़ जमीन में फैला है परिसर, सुप्रीम कोर्ट के कैंपस से भी है कई गुना बड़ा।
550 करोड़ रुपये की लागत से बना है भवन, लगाए गए हैं 500 सीसीटीवी कैमरे।
1200 अधिवक्ता बैठेंगे दो हॉल में, 540 चैंबर व महाधिवक्ता भवन अलग से।
30 हजार वर्गफीट में बनाई गई लाइब्रेरी, 2000 वाहनों के पार्किंग की व्यवस्था।
25 भव्य वातानुकूलित कोर्ट रूम बनकर तैयार, सौर ऊर्जा के भी बेहतर इंतजाम है।

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