बम्पर जीत-करारी हार, वोटरों ने लगाई सियासी मार

  • नहीं चला नाटक, हार गए ‘कर-नाटक’
  • बजरंग बली ने दिलाई 35 सीटों पर बढ़त

आरके मिश्र, वरिष्ठ संवाददाता
आरके मिश्र, वरिष्ठ संवाददाता

लखनऊ। कर्नाटक विधानसभा चुनाव पर देश ही नहीं, पूरी दुनिया की निगाहें जमी थीं। जिसे देश की सबसे पुरानी पार्टी ने बम्पर तरीके से जीत लिया। कई दशक बाद कांग्रेस को इस तरह की जीत नसीब हुई है, वो भी मल्लिकार्जुन खड़गे के नेतृत्व में। सियासी जानकार भले ही इसे नेहरू-गांधी परिवार के बाहर के व्यक्ति की जीत मानें, लेकिन कांग्रेस ने वो कर दिखाया जो कई दशकों से उसके नेता नहीं कर पा रहे थे। यह जीत केवल कांग्रेस की जीत नहीं है, बल्कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के पोस्टर ब्वॉय यानी नरेंद्र मोदी की करारी हार है। जनता ने इस बार ‘कर-नाटक’ में भारतीय जनता पार्टी को तगड़ी सियासी मार लगाई है, जिसकी चोट दिल्ली तक महसूस की जा रही है। हालांकि उत्तर प्रदेश में हुए स्थानीय निकाय के चुनाव परिणाम उन्हें जश्न मनाने का मौका जरूर दिया है, लेकिन वो बीजेपी के चाणक्य अमित शाह के चेहरे पर रौनक लौटाने के लिए नाकाफी है।

पूरा सीन साफ है। कर्नाटक में कांग्रेस किंग बनकर उभरी है। दिल्ली और कर्नाटक समेत देश भर के कांग्रेस (138 सीटें) दफ्तरों में जश्न मनाया जा रहा है। उधर, बीजेपी (63 सीटें) ने हार स्वीकार कर ली है। कांग्रेस ने अपनी जीत का एक बड़ा श्रेय ‘भारत जोड़ो यात्रा’ को दिया है। बकौल कांग्रेस, ‘भारत जोड़ो यात्रा बनाम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी’ के विमर्श में राहुल गांधी द्वारा निकाली गई पदयात्रा ही ‘स्पष्ट विजेता’ साबित हुई है। बता दें कि ‘भारत जोड़ो यात्रा’ कर्नाटक के जिन 20 विधानसभा क्षेत्रों से गुजरी थी उनमें से 15 में कांग्रेस को जीत हासिल हुई, जबकि जनता दल (सेक्युलर) को तीन और भारतीय जनता पार्टी ने दो सीट पर जीत दर्ज की हैं।

सत्ता के गलियारों में, खबरिया चैनलों पर बैठने वाले प्रवक्ता व एंकर गला फाड़-फाड़कर चिग्घाड़ रहे हैं कि यह साल 2024 का सेमी फाइनल है। हालांकि अभी राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में भी विधानसभा चुनाव होने हैं। जानकारों का कहना है कि विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव में मुद्दों का बड़ा फर्क होता है, इस कारण जनता मोदी को वोट करती आई है। लेकिन कर्नाटक के कांग्रेस प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला का बयान कुछ और इशारा कर रहा है। उन्होंने कहा कि कर्नाटक ने इतिहास रचा है। इस राज्य ने न केवल कर्नाटक के लोगों के लिए बल्कि पूरे देश के लिए लोकतंत्र के लिए एक नया जीवन दिखाया है। यह हर कन्नडिगा की जीत है। ये पूरे भारत में लोकतंत्र और संविधान को बचाने का एक मार्ग है।

चुनाव परिणाम आते ही कर्नाटक के मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता बसवराज बोम्मई ने राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप दिया। बैग्लुरू के बड़े बिजनेसमैन आर. चंद्रमोहन कहते हैं कि कर्नाटक में BJP को खड़ा करने में पूर्व मुख्यमंत्री BS येदियुरप्पा ने बड़ी अहम भूमिका निभाई। लेकिन इस बार येदियुरप्पाा को कर्नाटक चुनाव में साइड लाइन कर दिया गया। वहीं जगदीश शेट्टार और पूर्व डिप्टी सीएम लक्ष्मण सावदी का पार्टी ने टिकट काट दिया। इससे नाराज ये दोनों नेता कांग्रेस में शामिल हो गए। बताते चलें कि येदियुरप्पा, शेट्टार, सावदी तीनों ही लिंगायत समुदाय के बड़े नेता माने जाते हैं, जिन्हें नजर अंदाज करना बीजेपी को महंगा पड़ गया।

वहीं केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेता अनुराग ठाकुर कहते हैं कि जनता के बीच में ‘डबल इंजन सरकार’ को वापस बनाने के लिए हमने प्रयास किए। पांच बरसों में BJP सरकार ने बहुत काम किया था, लेकिन लोकतंत्र में जनता का निर्णय सर्वोपरि होता है। यानी वह मानते हैं कि कर्नाटक में उनके खिलाफ एंटी-इन्कम्बैंसी का असर था। उनकी सरकार के निर्णयों के खिलाफ वहां की जनता थी। अगर ऐसा था तो बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व को इसकी जानकारी कुछ दिनों पहले कैसे नहीं हुई? दूसरी ओर कांग्रेस नेता DK शिवकुमार ने पीएम मोदी का बिना नाम लिए दो टूक लहजे में तंज कसा कि एक व्यक्ति की नहीं पार्टी की पूजा करो। उन्होंने कहा कि ये 40 फीसदी कमीशन के खिलाफ, अल्पसंख्यकों, किसानों को दी जा रही परेशानी के खिलाफ जीत है। ये हमारी गारंटियों की जीत है।

कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे मीडिया से रूबरु हुए और बीजेपी को जमकर आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि अहंकार अधिक समय तक नहीं रहता। यह एक लोकतंत्र है और हमें लोगों की बात सुननी होगी और उन लोगों के सामने सिर झुकाना होगा जो हमें सही रास्ता दिखाते हैं। इस जीत से पूरे देश में एक नई ऊर्जा का संचार हुआ। BJP हमें ताना मारती थी और कहती थी कि हम ‘कांग्रेस मुक्त भारत’ बनाएंगे। अब सच्चाई यह है कि यह ‘बीजेपी मुक्त दक्षिण भारत’ है। दूसरी ओर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा लोगों की भलाई के लिए काम करती रहेगी और सक्रिय रूप से रचनात्मक विपक्ष की भूमिका निभाते हुए उनकी आवाज बुलंद करेगी।

कुछ लोगों का मानना है कि ऐन लोकसभा चुनाव के पहले कांग्रेस को मिली इस बम्पर जीत का लाभ मिलेगा। विपक्ष की अन्य क्षेत्रीय पार्टियां अब कांग्रेस और उसके महराज यानी राहुल गांधी को समझदारी से सुनेंगे। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि अब विपक्ष के सबसे बड़े नेता के रूप में राहुल गांधी ही उभरकर आएंगे। बताते चलें कि अभी कुछ दिनों पहले हिमांचल प्रदेश में कांग्रेस को बम्पर जीत मिली थी और अब कर्नाटक उन्हें और मजबूत करता हुआ दिख रहा है। बिहार के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव कहते हैं कि हम कर्नाटक की जनता को बधाई देना चाहेंगे, उन्होंने जिस सरकार को चुना वह देश के हालात को देखते हुए चुना। हमने तो कल ही कह दिया था कि बजरंग बली भाजपा से नाराज हैं। दक्षिण भारत में भाजपा खत्म हो गई है। मध्य भारत में चोरी और असंवैधानिक तरीके से भाजपा शासन में है। बंगाल, बिहार, झारखंड में है ही नहीं, अब आने वाले हर चुनाव में भाजपा हारेगी। बताते चलें कि हिमांचल और राजस्थान में भी कांग्रेस की सरकार है।

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