कहां से आया ‘माफ़िया’ शब्द, जानिए पूरी कहानी…

लखनऊ। माफ़िया अल्फ़ाज़ की बुनियाद 18वीं सदी में पड़ी थी। इसी नींव इटली में डाली गई थी। दरअसल, उस दौरान जब फ़्रांसीसियों ने सिसली पर विजय प्राप्त की थी, तो इटली में क्रांतिकारियों ने एक भूमिगत संगठन तैयार किया था, जिसे MAFIA कहा जाता था। यह अंग्रेज़ी के पाँच अक्षरों से मिलकर बना है।

इसका मतलब यूँ- एम-मोर्टे, ए-अला, एफ-फ्रांकिया, आई- इटैलिना और ए-आमेल्ला। यानी इटली में आए हुए फ्रांसिसियों को मार दो। फ़्रांस के अनेक सैनिकों तथा क्रांतिकारियों की हत्या इसी संगठन द्वारा की गई थी। फ़्रांस के शासन का अंत हो गया। लेकिन इस ख़ूँख़ार संगठन की याद लोगों के ज़ेहन में सदा के लिए बैठ गई। कालांतर में सिसली के अपराधी संगठनों ने इस शब्द को हमेशा के लिए अपना लिया। उनमें अधिकांश अपराधी अमेरिका चले गए। अपराधियों ने संगठित अपराध के साथ माफ़िया अल्फ़ाज़ को जोड़ लिया। आहिस्ते-आहिस्ते यह शब्द हिंदुस्तान समेत पूरी दुनिया में प्रचलित होता गया और आज की तारीख़ में कश्मीर से कन्याकुमारी और कच्छ के कामरूप तक अनेक माफ़िया डॉन हिंदुस्तान की सरज़मीं में कुंडली मारकर बैठे हुए हैं और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस माफ़िया के फन को कुचल रहे हैं।

अब चर्चा उस केस की जिसके कारण राजधानी लखनऊ समेत पूरे सूबे में माफ़िया शब्द की चर्चा हो रही है। प्रयागराज के धूमनगंज में वकील उमेश पाल हत्याकांड के बाद 25 फ़रवरी दिन शनिवार को बजट सत्र के दौरान योगी आदित्यनाथ ने ‘सिंह गर्जना’ की थी और कहा था- ‘मैं इस माफ़िया को मिट्टी में मिला दूँगा।’ अभी-अभी दिन के एक बजे कुख्यात माफ़िया अतीक अहमद का बेटा असद और अतीक का शार्प शूटर गुलाम मोहम्मद दोनों को झाँसी के पारीछा डैम के पास हुए एनकाउंटर के दौरान ढेर कर दिए गए। यह एनकाउंटर यूपी की स्पेशल टास्क फ़ोर्स (STF) ने किया है।

यह असद ही था, जिस पर पाँच लाख रूपये का ईनाम घोषित था। 24 फ़रवरी 2023 को जब उमेश पाल की हत्या हो गई थी, तब वह क्रेटा कार से उतर असद ही अन्य शूटरों के साथ उस पर दनादन गोली दाग़ रहा था। उस समय गुलाम भी उसके साथ था। उधर अतीक और उसके भाई अशरफ़ की पेशी सीजेएम कोर्ट प्रयागराज में हुई है। ख़बरों के अनुसार सीजेएम प्रयागराज ने दोनों को सात दिनों के लिए पुलिस रिमांड पर भेज दिया है। उमेश पाल मर्डर केस में अब पुलिस दोनों से पूछताछ क़रीने से करने जा रही है।

जानकारी के मुताबिक़ असद और गुलाम दोनों नीले रंग की मोटरसाइकिल पर सवार थे और दोनों के हाथों में पिस्तौल थी। एनकाउंटर के बाद दोनों की पिस्टल पास में ही उनके गिरी हुई थी।

सूत्रों से मिली ख़बर के मुताबिक़ STF  टीम का नेतृत्व दो डिप्टी एसपी कर रहे थे। पहले डिप्टी SP नावेंदु और दूसरे विमल हैं। असद के पास से कुछ विदेश असलहे भी मिले हैं। वरिष्ठ पुलिस अधिकारी अमिताभ यश ने कहा कि हमारी टीम ने तीन बार उसे सरेंडर करने का मौक़ा दिया। लेकिन वह माना नहीं और एसटीएफ़ पर ताबड़तोड़ फ़ायरिंग करने लगा। जवानों की जवाबी फ़ायरिंग में असद ढेर हो गया। वहीं डिप्टी एसपी नावेंदु को भी गोली लगी है। हालाँकि वह ख़तरे से बाहर बताए जा रहे हैं। यूपी के CM  योगी आदित्यनाथ को पल-पल की ख़बरों से अपडेट कराने के लिए सीएम कार्यालय पहुँच चुके हैं।

 

उधर असद के एनकाउंटर की ख़बर अतीक को जैसे ही मिली, वो और उसका अशरफ़ कोर्ट रूम के अंदर फूट-फूटकर रोने लगे। वहीं कोर्ट रूम में ही योगी ज़िंदाबाद के नारे लगने लगे। रोते-रोते अतीक कई बार बेहोश हो गया। उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने ट्वीट किया कि यूपी एसटीएफ़ को बधाई देता हूँ। उमेश पाल एडवोकेट और पुलिस के जवानों के हत्यारों का यही हश्र होना था।

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