कविता : तभी दिख जाती हैं कठौती में गंगा

शतरंज के खिलाड़ी हों या प्यादे, अच्छे लोग सदा ही सस्ते होते हैं, बस मीठा बोल बना लो अपना, यद्यपि वह लोग अनमोल होते हैं। शायद इसीलिए हम लोग उनकी कीमत बिलकुल नहीं समझते हैं, लेकिन यह भी सत्य है एक सरल व्यक्ति के साथ हम छल करते हैं। यही छल बल हमारी बर्बादी के … Continue reading कविता : तभी दिख जाती हैं कठौती में गंगा