नए महानिदेशक कारागार से जेल कर्मियों की जगी उम्मीदें

जेल मुख्यालय और जेलों में अफसरों की भारी कमी करनी

प्रदेश के एकभी जेल परिक्षेत्र में DIG नहीं


आर के यादव


लखनऊ। प्रदेश के नए महानिदेशक कारागार के सामने चुनौतियों का अंबार है। कारागार विभाग में अधिकारियों की संख्या काफी कम है। जेल मुख्यालय से लेकर जेलों पर अधिकारियों और सुरक्षाकर्मियों की संख्या बंदियों के अनुपात में काफी कम है। आलम यह है कि विभाग के एक-एक अधिकारी को कई-कई काम करने के लिए विवश होना पड़ रहा है। ऐसा तब है जब प्रदेश की दर्जनों की संख्या में जेलों में क्षमता से अधिक बंदी निरुद्ध हैं। विभाग के नए मुखिया के लिए अधिकारियों और सुरक्षाकर्मियों की कमी को दूरी करना आसान नहीं होगा।
शासन ने दो दिन पहले पावर कारपोरेशन के महानिदेशक को कारागार विभाग की जिम्मेदारी सौंपी। शनिवार को पावर कारपोरेशन से कारागार विभाग स्थानांतरित हुए महानिदेशक बने एसएन साबत ने शनिवार को जेल मुख्यालय पहुंचकर अपना कार्यभार संभाल लिया। प्रभार संभालने के बाद उन्होंने विभाग में तैनात अपर महानिरीक्षक कारागार प्रशासन और उप महानिरीक्षक जेल मुख्यालय के अधिकारियों के साथ बैठक कर विभागीय कार्यों की जानकारी प्राप्त की। इस दौरान उन्होंने जेल अधिकारियों को खुंखार और शातिर अपराधियों पर विशेष निगरानी रखने के निर्देश दिए।

सूत्रों के मुताबिक प्रदेश के कारागार मुख्यालय में कई महत्वपूर्ण पदों पर अधिकारी तैनात नहीं है। मुख्यालय में अपर महानिरीक्षक विभागीय का पद पिछले काफी समय से खाली पड़ा हुआ है। जेल मुख्यालय में DIG के दो पद सृजित हैं। एक DIG के रिटायर होने के बाद अब मुख्यालय में एक ही DIG बचे हैं। इसी प्रकार मुख्यालय में कई महत्वपूर्ण पदों पर अधिकारी तैनात नहीं है। मुख्यालय में वरिष्ठï अधीक्षक मुख्यालय का पद भी अधिकारी के रिटायर होने के बाद से खाली पड़ा है। जेल प्रशिक्षण संस्थान में भी एआईजी/निदेशक का पद खाली है।

विभाग में अधिकारियो की कमी का आलम यह है कि प्रदेश की नौ परिक्षेत्रों में एक भी उप महानिरीक्षक (DIG ) नहीं है। जेलों के कर्मियों को एसीपी और दंड देने का अधिकार डीआईजी को ही होता है। वर्तमान समय में जेल परिक्षेत्रों का काम वरिष्ठï अधीक्षक संभाल रहे हैं। अधिकारियों की कमी की वजह से एक-एक अधिकारी के पास कई-कई जिम्मेदारियां हैं। इससे विभागीय काम भी प्रभावित हो रहा है।

विभागीय जानकारों का कहना है कि प्रदेश कारागार विभाग में लखनऊ, प्रयागराज, वाराणसी, गोरखपुर, अयोध्या, आगरा, मेरठ, कानपुर और बरेली कुछ नौ परिक्षेत्र है। एक परिक्षेत्र में आठ से लेकर दस-बारह जेल है। इन सभी परिक्षेत्रों की जिम्मेदारी डीआईजी जेल की होती है। वर्तमान समय में प्रदेश की 73 जेलों में करीब 75 से 80 हजार बंदियों को रखने की क्षमता है। वर्तमान समय में करीब एक लाख 15 हजार बंदी निरुद्ध हैं। बंदियों के अनुपात में विभाग में सुरक्षाकर्मियों और अधिकारियो की संख्या काफी कम है। कारागार विभाग के नए मुखिया के लिए विभाग में अधिकारियों के साथ सुरक्षाकर्मियों की संख्या को बढ़ाना और जेलों से ओवरक्राउंडिंग की समस्या को खत्म करना किसी चुनौती से कम नहीं होगा।

नई जेल बनने के बाद आज तक नहीं हुई चालू

प्रदेश के इटावा की नवनिर्मित केंद्रीय कारागार और प्रयागराज में बनी जिला जेल निर्माण कार्य पूरा होने के बाद भी अभी तक चालू नहीं हो पाई है। केंद्रीय कारागार नैनी में ओवरक्राउडिंग की समस्या को देखते हुए प्रयागराज में नई जिला जेल का निर्माण कराया गया है। शासन व जेल मुख्यालय के अधिकारी पूरी तरह से तैयार हो चुकी इस जेल को भी अभी तक चालू नहीं करा पाए है। इन दोनों जेलों के चालू नहीं होने से जिला जेल इटावा और केंद्रीय कारागार नैनी में बंदियो की भरमार है। दिलचस्प बात तो यह है कि इटावा की केंद्रीय कारागार का करीब डेढ़ साल पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उदघाटन भी कर चुके है इसके बाद यह जेल चालू नहीं हो पाई है।

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