मानवाधिकार आयोग की उत्कृष्ट रैंकिंग से बढ़ा भारत का सम्मान

डॉ. कन्हैया त्रिपाठी
              डॉ. कन्हैया त्रिपाठी

भारत के लोगों को खुश होना चाहिए कि हमारे देश के राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग को ग्लोबल एलायंस ऑफ नेशनल ह्यूमन राइट्स इंस्टीट्यूट द्वारा ए ग्रेड से नवाजा गया है। किसी भी देश के लिए यह गरिमा की बात है और गर्व की बात है कि उसके देश के मानवाधिकारों को संवर्धित करने वाली संस्था को शानदार ग्रेड मिला है। इससे निःसन्देह भारत की प्रतिष्ठा दुनिया में बढ़ी है। निरंतर मानवाधिकारों की रक्षा के लिए प्रतिबद्धता और समर्पण के साथ जुटा राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, आयोग के अध्यक्ष, माननीय सदस्यगण और आयोग का एक-एक व्यक्ति इसके लिए बधाई और अभिनंदन का पात्र है। यदि राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग अपने असाधारण उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए सक्रिय नहीं होता, तो संभव है कि उसे यह ग्रेड नहीं मिलता। उसे दुनिया के अन्य देशों की भांति या तो बी-ग्रेड मिलते या उन्हें नो-स्टैटस की श्रेणी में ग्लानिबोध के साथ रहना पड़ता। लेकिन हमारे राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने अपनी सक्रियता, तन्मयता और प्रतिबद्धता से देश की जनता के विश्वास को जीता है।

उसने इसी वजह से ग्लोबल एलायंस ऑफ नेशनल ह्यूमन राइट्स इंस्टीट्यूट, जेनेवा का भी विश्वास जीता है। भारत को इसी श्रेष्ठ कार्यों के वजह से जेनेवा में और दुनिया में तारीफ मिल रही है, उसके कार्यों को भी जीएएनएचआरआई द्वारा सराहा जा रहा है।दरअसल, पेरिस सिद्धांतों के अनुपालन में स्वतंत्रता, बहुलवाद और ज़वाबदेही सुनिश्चित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता एनएचआरआई को मिली हैं जिसमें प्राप्त मानकों के आधार पर किस संस्था ने बेहतरीन प्रदर्शन किया अपने देश में उसका मूल्यांकन जीएएनएचआरआई यानी ग्लोबल एलायंस ऑफ नेशनल ह्यूमन राइट्स इंस्टीट्यूट द्वारा किया जाता है। जीएएनएचआरआई का मानना है कि मानवाधिकारों को बढ़ावा देने और उनकी रक्षा करने के अपने काम में प्रभावी होने के लिए, राष्ट्रीय मानवाधिकार संस्थानों को विश्वसनीय और स्वतंत्र होना चाहिए।

पेरिस सिद्धांत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सहमत न्यूनतम मानकों को निर्धारित करता है जिन्हें विश्वसनीय माने जाने के लिए एनएचआरआई को पूरा करना होता है और उसके आधार पर मूल्यांकन की सारी प्रक्रिया होती है। कानून, सदस्यता, संचालन, नीति और संसाधनों के नियंत्रण में स्वतंत्र होने के साथ-साथ एनएचआरआई के पास व्यापक जनादेश, बहुलवाद की अंतश्चेतना, व्यापक कार्य, पर्याप्त शक्तियां, पर्याप्त संसाधन, सहकारी तौर-तरीके और अंतरराष्ट्रीय निकायों के साथ परस्परता आवश्यक होती है। भारत के राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग इन सभी मापदण्डों पर खरा उतरने वाला आयोग है और वह भारत के आज़ादी के अमृत-पर्व पर अनेकों ऐसे नए इनिशिएटिव के साथ आगे बढ़ रहा है, सबसे बड़ी बात यह है।

आज प्रत्यायन के विभिन्न मापदण्डों पर यदि राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग की छवि बढ़ी है तो उसका इसलिए अभिनंदन किया जाना चाहिए क्योंकि उसने एक गहरी परीक्षा के दौर से, समीक्षा के दौर से गुजर कर प्रथम ग्रेड में भारत को स्थापित किया है। और न केवल स्थापित किया है अपितु सतत भारत को प्रथम बनाने की पूरी कोशिश करके उसे ए ग्रेड का स्थान दिलाया है। यहाँ इस बात का उल्लेख करना आवश्यक है कि प्रत्यायन हेतु जीएएनएचआरआई उप-समिति (एससीए) के माध्यम से एनएचआरआई की समीक्षा करने और मान्यता देने की जिम्मेदारी लेती है। यह एक कठोर प्रक्रिया है, जो चार क्षेत्रों- अफ्रीका, अमेरिका, एशिया प्रशांत और यूरोप में से प्रत्येक से एनएचआरआई के प्रतिनिधियों द्वारा की जाती है। उपसमिति द्वारा एससीए द्वारा राष्ट्रीय मानवाधिकार संस्थान की समीक्षा की जाती है।

यह समीक्षा और मूल्यांकन प्रत्येक पाँच वर्ष बाद एनएचआरसी के आवेदन पर शुरू होती है। इस पूरी प्रक्रिया में दुनिया की निगाहें लगी होती हैं देशों के मानव अधिकार आयोग पर, कि कौन सा देश किस श्रेणी में पहुँच रहा है? इसी से देश के मानव अधिकारों के प्रति सक्रियता और उसके कार्यों का भी रेखांकन देश करते हैं। यद्यपि यह एक प्रत्यायन की प्रक्रिया है। इसमें भारत ने सदैव बहुत ही गंभीरता से भाग लिया। यदि हम प्रत्यायन के नवंबर 2022 के स्थिति को देखें तो इस पूरी प्रक्रिया में शामिल देशों और दूसरे निकायों का प्रत्यायन जब हुआ तो 89 देशों को ग्रेड ए मिला, 31 देशों को ग्रेड बी मिला और सी ग्रेड प्राप्त करने वालों की संख्या 10 थी। इसमें कुल 130 का प्रत्यायन हुआ था जिसमें जो पेरिस समझौते के सबसे अधिक सिद्धांतों को मानने वाले थे उन्हें ही ग्रेड ए दिया गया, भारत देश उनमें से एक है।

भारत का बतौर एनएचआरआई 1999, 2008, 2011 में ग्रेड ए था और जो 2016 में मूल्यांकन होना था उसे 2017 नवंबर में किया गया तो उस समय भी ए ग्रेड मिला और अब पुनः भारत ए ग्रेड हासिल किया है। निरंतर भारत की यह सक्रिय और गरिमामय उपस्थिति यह दर्शाती है कि भारत का राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग अनवरत 24 घंटे भारत की जनता के लिए जाग रहा है, भारत के लिए कुछ अहम कर रहा है। एक संस्था के इस महनीय यात्रा में उसके नेतृत्व की भूमिका अहम होती है और इस सभी के लिए आयोग के अब तक के हुए अध्यक्षों की भी खुले दिल से तारीफ की जानी चाहिए।

देश को आज निःसन्देह इस बात पर गर्व होगा कि दुनिया भर से एनएचआरआई की नियमित सभा जिनेवा में हो रही है। आम तौर पर यह आयोजन जीएएनएचआरआई द्वारा संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त के कार्यालय के सहयोग से किया जाता है। वार्षिक सम्मेलन में न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा के नेतृत्व में एक शिष्टमंडल जिसमें आयोग के माननीय सदस्य ज्ञानेश्वर मुले, संयुक्त सचिव अनीता सिंहा भारत की ओर से प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। भारत के भीतर और भारत के बाहर इस प्रकार से सक्रिय आयोग निःसन्देह अपनी उम्दा छवि प्राप्त किया है तो यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि आयोग भारत की जनता के लिए तो कार्य कर रहा है, यह सच है लेकिन सतत भारत की प्रतिष्ठा के लिए भी कार्य कर रहा है। मेरी दृष्टि से आयोग के इस उपलबद्धि के लिए आकाशभर बधाई, अभिनंदन और धन्यवाद जितना दिया जाए, कम है।

हिंदुस्तान में यद्यपि अनेकों मसले हैं जिन्हें चिन्हित किया जाना है। जागरूकता के टूल्स को रेखांकित करके मानवाधिकारों की सुरक्षा और संवर्धन के लिए और यत्न किया जाना है फिर भी आयोग के इस सक्रिय गति में यदि सकारात्मक भाव से हम उसके अच्छे कार्यों को रेखांकित करें, उसे सराहना का विषय बनाएँ तो आयोग का मनोबल बढ़ेगा। यह एक बड़े साहस मुक्तकंठ से किया जाने वाला कार्य है। देश के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को भी आयोग की इस उपलब्धि पर अभिनंदन करना चाहिए। किसी भी व्यक्ति, समुदाय और देश का विकास तो उसकी जनता की उन्नति और मानव अधिकारों की व्याप्ति से तय होता है, लेकिन यह तभी लक्ष्य प्राप्त होते हैं जब हमारा दिमाग खुले मन से भारत की समस्त जनता के कल्याण के लिए तैयार होगा। हमारे देश का सम्मान दुनिया में बढ़ा है। भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की छवि को उत्कृष्ट बनाया है। राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने देश का मान बढ़ाया है। भारत को और श्रेष्ठ करना है तो भारत को अब भारत की उन समस्याओं को रेखांकित, चिन्हित और संबोधित करना है जिससे भारत के मानवाधिकारों में अभिवृद्धि हो। यह कार्य निःसन्देह भारत का नया इतिहास गढ़ेगा।

लेखक भारत गणराज्य के महामहिम राष्ट्रपति जी के विशेष कार्य अधिकारी रह चुके हैं। अहिंसा आयोग और अहिंसक सभ्यता के पैरोकार हैं।

पता: डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर-470003 मध्य प्रदेश

मो. 9818759757 ईमेल: [email protected]

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