रवीन्द्रालय चारबाग में लखनऊ बुक फेयर: तीसरा दिन

किताबों में खिला बच्चों का सजीला संसार

पंकज प्रसून ने बताया लड़कियां बड़ी लड़ाका होती है

लखनऊ। रवीन्द्रालय चारबाग में रविवार का तीसरा दिन पुस्तक प्रेमियों के लिए खुशनुमा रहा। छुट्टी का दिन होने के नाते आजा यहां बच्चों के साथ बहुत से परिवार खरीदारी करते दिखायी दिये। यूं भी जी-20 की थीम पर 26 मार्च तक सुबह 11 बजे से रात नौ बजे तक चलने वाले किताबों के इस मेले में बच्चों के लिए किताबों, दिमागी कसरते के खिलौनों के संग और भी बहुत कुछ है। मेले में बच्चों की जानकारी बढ़ाने वाले बच्चों के समाचार पत्र दि जूनियर एज का स्टाल है तो यहां हैदराबाद से आए एक स्टाल पर पेटेण्ट कराई हुई ऐसी स्लेट्स हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू, तेलुगु, तमिल, पंजाबी, उड़िया, मलयालम, कश्मीरी, कन्नड़, नेपाली, मराठी, गुजराती, बांग्ला और असमी भाषा की ऐसी स्लेट्स हैं जिनपर अक्षरों का अभ्यास करके छोटे बच्चे बहुत कुछ सीख सकते हैं।

इसके अलावा हिन्दी अंग्रेजी में कई बार लिखकर इस्तेमाल होने वाली वर्क बुक भी हैं। स्टाल संचालक बताते हैं कि उनकी पेटेण्ट करायी ये स्लेट्स अमेजन और फ्लिपकार्ट पर भी उपलब्ध हैं पर पुस्तक मेले में यह बहुत ही बड़ी छूट पर हर किसी को उपलब्ध हैं। प्रकाशन विभाग के स्टाल पर तेनालीराम, चिल्ड्रेन्स विवेकानन्द, सुंदर लोककथाएं, विज्ञान बारहमासा, गांधी कथा जैसी ढेरों पुस्तकें मासिक बालभारती पत्रिका के अंकों पर उपलब्ध हैं। नेशनल बुक ट्रस्ट के स्टाल पर रोचक कहानियों की पक्की दोस्ती, फूल और मधुमक्खी, मुझे घर जाना है, रूपा हाथी की चित्रात्मक किताबें और महापुरुषों की जीवनियांं की संग कई भागों में विज्ञान सीखने की ज्ञानवर्धक किताबें हैं। अमर चित्र कथा के स्टाल  पर रंगबिरंगी कामिक्स बच्चों को लुभा रही हैं।

दिमागी कसरत के गेम्स माइंड डेपलप्ड के स्टाल पर हैं। सस्ता साहित्य मण्डल के स्टाल पर प्रेरक कथाएं, जातक कथाएं, अमर कथाएं, आदर्श कथाएं, ज्ञान कथाएं और आलोक कथाएं जैसी बाल उपयोगी पुस्तकें हैं। देखा जाए तो हर स्टाल पर बच्चों का कुछ न कुछ साहित्य उपलब्ध है। आज पुस्तक मेले में चर्चित किताब लड़कियां बड़ी लड़ाका होती हैं के लेखक पंकज प्रसून ने लेखिका दीपिका चतुर्वेदी ने संवाद करते हुए कहा बताया कि सोशल मीडिया के दौर में कविताएं बहुत कम समय में लाखों-करोड़ों पाठकों तक पहुंच जाती हैं। लड़ाका लड़की वाली उनकी कविता सोशल मीडिया पर वायरल हुई और अनुपम खेर तक पहुंच गई जिसे उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर टाइम्स स्क्वायर न्यूयॉर्क से पढ़ा।

पंकज प्रसून ने बताया कि कविताओं के माध्यम से व्यापक स्तर पर बदलाव लाया जा सकता है। उदाहरण के तौर पर जानकीपुरम गड्ढों की समस्या से ग्रस्त था तो मैंने गड्ढा सम्मान समारोह किया और गड्ढा गान लिखा। उसका प्रभाव यह हुआ कि जानकीपुरम के सारे गड्ढे भर दिए गए। पंकज प्रसून ने बताया कि उनकी कविता मां का बुना स्वेटर कभी छोटा नहीं पड़ता जब सोशल मीडिया पर वायरल हुई तो हजारों लोगों ने अपनी मां की बुनाई स्वेटर पहनकर फेसबुक और इंस्टाग्राम पर स्टेटस लगाया। उन्होंने आज के दौर को लेकर कविता सुनाई- अंतर्मन की विचरण सीमा इंटरनेट से बहुत बड़ी है, वॉल फेसबुक की थी पहले आज हमारे बीच खड़ी है, सुनाई। इससे पहले आज सुबह सुरभि कल्चरल ग्रुप द्वारा बाल रत्न सम्मान समारोह हुआ, फिर नृत्यांगन की बाल प्रस्तुतियां हुईं।

नवीन शुल्क के संचालन में संजीव जायसवाल संजय के लघु उपन्यास अपराजिता पर हुई चर्चा में प्रमुख रूप से दूरदर्शन के सहायक निदेशक आत्मप्रकाश मिश्र, रचनाकार चन्द्रशेखर वर्मा और डा.अमिता दुबे ने पुस्तकांश पढ़ने के साथ विचार व्यक्त किये। इसी क्रम में पुस्तक कामयाब कैसे बने पर चर्चा चली। अंत में लक्ष्य संस्था के सम्मान समारोह और काव्यगोष्ठी चली। फोर्स वन बुक्स के साथ ज्वाइन हैण्ड्स फाउण्डेशन, किरन फाउण्डेशन, ओरिजिन्स, ट्रेड मित्र आदि के सहयोग से हो रहे मेले में कल सुबह युवाओं और फिर बच्चों की मोहक प्रस्तुतियां होंगी। दोपहर बाद लोक साहित्य शोध संस्थान की लोक चौपाल सजेगी। शाम सात बजे चारू काव्यांगन की ओर से काव्य गोष्ठी होगी।

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