कविता : एक तीर से दो शिकार

एक तीर से दो शिकार करने की कुछ लोगों की कैसी आदत होती है, वह शायद भूल जाते हैं कि इससे सांप तो नही मरता पर लाठी टूट जाती है। कुछ लोग मीठा मीठा बोलने की प्रायः कोशिश भी करते हैं, पर उनके श्रीमुख से मीठा कम कड़वा कड़वा ही बाहर आता है। ध्यानाकर्षण, प्रेमाकर्षण … Continue reading कविता : एक तीर से दो शिकार