दो टूक : आखिर अखिलेश कब समझेंगे!

राजेश श्रीवास्तव


एक दिन पहले यूपी विधानसभा का बजट सत्र खत्म हो गया। लेकिन यह बजट सत्र यादगार रहेगा। क्योंकि इस बजट सत्र में भाषा की जो गिरावट देखी गयी वह सदन की गरिमा को तार-तार करती दिखायी पड़ी। छक्का, खेल, मेरे बाप-तेरे बाप जैसे शब्दों का भी इस्तेमाल हुआ। लेकिन अगर इस पूरे सत्र का विश्लेषण किया जायेगा तो साफ होता है कि मुख्यमंत्री योगी और नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव के बीच जिस तरह का संवाद हुआ है वह यह भी दिखाता है कि सदन में भी सपा सुप्रीमो कमजोर साबित हो रहे हैं। यही नहीं, वो जिस तरह के व्यक्ग्तिगत तंज को भी मुख्यमंत्री योगी के खिलाफ कसते दिखायी दिये, उससे साफ है कि सपा आने वाले समय में और कमजोर होती देखोगे।

 

पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, भारतीय जनता पार्टी और योगी सरकार के खिलाफ विचारों की लड़ाई की बजाए इसे लगातार व्यक्तिगत ‘दुश्मनी’ का रूप देते जा रहे हैं। अखिलेश कभी योगी के गेरूआ वस्èत्रों पर तंज कसते हैं तो कभी भरी विधानसभा में योगी के खेल ज्ञान की खिल्ली उड़ाते हैं। चुनावी सभाओं में योगी को वापस मठ भेज देने का दंभ भरते हैं। अखिलेश ने योगी पर व्यक्तिगत हमले का सिलसिला पिछले वर्ष विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान शुरू किया था जो लगातार तीखा होता जा रहा है, जबकि विधानसभा चुनाव में अखिलेश को योगी के सामने बुरी तरह से हार का मुंह देखना पड़ा था। बीजेपी ने 2022 का विधानसभा चुनाव योगी का चेहरा आगे करके लड़ा था जबकि सपा का चेहरा अखिलेश यादव बने हुए थे। इसीलिए उम्मीद तो यही की जा रही थी कि सपा प्रमख जब चुनाव नतीजों की समीक्षा करेंगे तो अपनी राजनीति में कुछ बदलाव लायेंगे।

उनकी तरफ से योगी पर व्यक्तिगत हमले कम हो जायेंगे। परंतु अखिलेश ने इससे कोई सबक नहीं लिया है जैसे-जैसे लोकसभा चुनाव नजदीक आता जा रहा है, समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव आक्रामक होते जा रहे हैं। बीजेपी     2024 का लोकसभा चुनाव भी मोदी के चेहरे पर ही लड़ रही है, लेकिन अखिलेश हैं कि मोदी से अधिक योगी के प्रति हमलावर हैं। हो सकता है उन्हें लगता हो कि अगले वर्ष लोकसभा चुनाव में यूपी की 80 लोकसभा सीटों पर सपा की स्थिति मजबूत हो इसके लिए योगी का कमजोर होना जरूरी होगा। इसीलिए वह योगी पर व्यक्तिगत रूप से मोर्चा खोले हुए हैं। सपा प्रमुख सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ पर निशाना साध रहे हैं। उनकी यह रणनीति कितनी कारगर होगी, यह तो चुनाव परिणामों से पता चलेगा। लेकिन अगर इतिहास को देखा जाये तो जब भी विपक्षी नेताओं ने योगी-मोदी पर व्यक्तिगत हमले किए हैं, तो उसका उसे चुनावों में फायदा नहीं मिला है।

राहुल गांधी ने 2019 के लोकसभा चुनावों में राफ़ेल सौदे को बड़ा मुद्दा बनाने की कोशिश की थी और उन्होंने राफ़ेल सौदे में भ्रष्टाचार को चुनावी मुद्दा बनाने की कोशिश की। इस रणनीति के तहत वह बार-बार ’चौकीदार चोर है’ का बयान देते रहते थे। चुनावों में कोई फायदा नहीं मिला और उसके केवल 52 सीटें मिलीं। जबकि भाजपा का आकंड़ा 300 को पार कर गया था। इसी प्रकार 2022 के विधानसभा चुनाव में अखिलेश ने योगी पर व्यक्तिगत प्रहार किया था और नतीजा सबके सामने है। ऐसा लगता है कि सपा प्रमुख अखिलेश यादव को मोदी-योगी के अलावा कुछ दिखाई ही नहीं दे रहा है। यही नजारा उत्तर प्रदेश विधानसभा के बजट सत्र के दौरान भी देखने को मिला। सपा ने राज्यपाल का बहिष्कार किया तो सीएम योगी तमतमा उठे। उन्होंने भरे सदन में सपा के साथ अखिलेश यादव को तीखे तेवर में खरी-खोटी सुना दी। कहा कि शक्ति देना आसान है, लेकिन बुद्धि देना कठिन होता है। सपा प्रमुख को याद रखना चाहिए कि इसी तरह की सियासत करके कांग्रेस नेता और सांसद राहुल गांधी ने अपने आप को मजाक का विषय बना लिया है। जरूरी नहीं है कि विपक्ष हर बात पर सरकार के खिलाफ ही खड़ा नजर रहेगा तभी उसका सियासी पारा ऊपर जायेगा।

 

विरोध के नाम पर विरोध जरूरी नहीं है। अब समय बदल गया है। यह पब्लिक सब जानती है। लेकिन अखिलेश यादव वर्ष 2017 से अब तक तीन चुनावों में भाजपा का सामना कर चुके हैं। 2017 और 2022 का विधानसभा चुनाव और 2019 का लोकसभा चुनाव। हर बार उनके सामने मुख्य रूप से भाजपा ही थी और हर बार उनको मुंह की खानी पड़ी। इतने मे तो कोई कमजोर बच्चा भी सीख जाता है। लेकिन अखिलेश यादव अभी भी अपने मुकाबिल योगी आदित्यनाथ के प्रति गिरती भाषा का इस्तेमाल करते हैं। वह उन योगी पर हमला बोल रहे हैं, जिनको पूरे देश में हिंदुओं का फायर ब्रांड नेता माना जाता है। उनके चेहरे पर भाजपा को वोट मिलते हैं। जबकि सपा सुप्रीमो के सामने अभी 2024 का लोकसभा चुनाव है। वह उसमें भाजपा को कैसे चुनौती दे पायेंगे, यह समझ से परे है। अखिलेश इतने भी परिपक्व नहीं कि वह यह समझ सकें कि रामचरित मानस जैसा मुद्दा उनको ताकत नहीं देगा बल्कि उनकी हिंदू विरोधी छवि का ही निर्माण हो रहा है। लेकिन अखिलेश इस मुगालते में है कि पिछड़ा उनके साथ है लेकिन पिछड़ा तो अब आवास, पांच किलो राशन, रसोई गैस कनेक्शन आदि पाकर भाजपा के साथ खड़ा दिखायी दे रहा है। ऐसे में अपने माई समीकरण को खाद पानी मुख्यमंत्री योगी के खिलाफ अभद्र टिप्पणी करके मिल पायेगी, यह अखिलेश को समझना होगा।

Raj Dharm UP

सनसनी: पूर्व सांसद धनंजय सिंह के गनर की गोली मारकर हत्या, इलाके में हड़कंप, पुलिस फोर्स मौके पर

ए अहमद सौदागर लखनऊ। यूपी में बेखौफ बदमाशों का कहर थम नहीं रहा है। माफिया मुख्तार अंसारी की मौत की गुत्थी सुलझ भी नहीं पाई थी कि असलहों से लैस बदमाशों ने जौनपुर जिले के पूर्व सांसद धनंजय सिंह के निजी गनर अनीस खान की गोली मारकर हत्या कर दी गई। यह घटना सिकरारा क्षेत्र […]

Read More
Raj Dharm UP

सुविधा शुल्क के आगे आईजी जेल के आदेश का कोई मायने नहीं

कैदी स्थानांतरण में भी अफसरों ने की जमकर वसूली! बागपत जेल में कैदियों के स्थानांतरण से हुआ बड़ा खुलासा राकेश यादव लखनऊ । डीजी पुलिस/आईजी जेल का आदेश जेल अधिकारियों के लिए कोई मायने नहीं रखता है। यही वजह है कि कमाई की खातिर जेल अफसर मुखिया के आदेश को दरकिनार कैदियों को स्थानांतरित करने […]

Read More
National Raj Dharm UP

यूपी के 16 हजार मदरसों से संकट टला

सुप्रीम कोर्ट ने यूपी मदरसा शिक्षा अधिनियम पर HC के फैसले पर लगाई रोक लखनऊ। देश की सर्वोच्च अदालत ने ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश पर शुक्रवार को अंतरिम रोक लगा दी जिसमें उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम 2004 को ‘असंवैधानिक’ और धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत का उल्लंघन करने वाला करार दिया गया था। […]

Read More