भगवान सूर्य को समर्पित होता है कामदा सप्तमी का व्रत

जयपुर से राजेंद्र गुप्ता


कामदा सप्तमी व्रत हिन्दू धर्म अपना एक अलग महत्व रखता है। ज्योतिष शास्त्र में कामदा सप्तमी व्रत का विशेष महत्व होता है। कामदा सप्तमी व्रत पूर्णतयः भगवान सूर्य को समर्पित होता है। शास्त्रों में इस व्रत को कामना पूर्ति के लिए खास माना गया है। कामनाओं को पूरा करने वाला यह व्रत पूरे वर्ष भर चलने वाला व्रत होता है। यह व्रत प्रत्येक शुक्ल सप्तमी को किया जाता है और हर चौमासे अर्थात् हर चार माह में इस व्रत का पारण करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को करने से स्वास्थ्य, धन, संतान और पद-प्रतिष्ठा की प्राप्ति होती है। ब्रह्मा जी ने कामदा व्रत की महिमा और महत्व भगवान विष्णु जी बतायी थी।

कामदा सप्तमी व्रत की तिथि

शनिवार, 26 फरवरी 2023

सप्तमी प्रारंभ: 26 फरवरी 2023 को 12 बजकर 20 मिनट से

सप्तमी समाप्त: 27 फरवरी 2023 को 12 बजकर 59 मिनट पर

कामदा सप्तमी का महत्व : ज्योतिष शास्त्र के अनुसार व्यक्ति का जीवन उसके जन्म कुण्डली पर निर्भर करता है। जिन व्यक्ति की कुण्डली में सूर्य नीच स्थान पर होता है। उनके जीवन में काफी परेशानियां और धन आदि की हानि होती है। कामदा सप्तमी व्रत करने से इन सभी परेशानियों से निजात मिलता है। कामदा सप्तमी व्रत करने से व्यक्ति की कुण्डली में सूर्य बलवान होता है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा आती है।

कामदा सप्तमी व्रत विधि : षष्ठी को एक समय भोजन करके सप्तमी को निराहार रहकर, “खरखोल्काय नमः” मन्त्र से सूर्य भगवान की पूजा की जाती है और अष्टमी को तुलसी दल के समान अर्क के पत्तो का सेवन किया जाता है। प्रातः स्नानादि के बाद सूर्य भगवान की पूजा की जाती है सारा दिन “सूर्याय नमः” मन्त्र से भगवान का स्मरण किया जाता है। अष्टमी को स्नान करके सूर्य देव का हवन पूजन किया जाता है। सूर्य भगवान् का पूजन करके आज घी, गुड़ इत्यादि का दान किया जाता है और दूसरे दिन ब्राह्मणों का पूजन करके खीर खिलाने का विधान है।


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