कविता : हम  या आप कौन हैं,

अपना हाथ देखूँ, हाथ अपना है, पर स्वयं तो हाथ नहीं हूँ मैं, ऐसे ही अपना पैर देखूँ, पर पैर भी स्वयं नहीं हूँ मैं, अपना सिर भी देखूँ, पर सिर भी स्वयं नहीं हूँ मैं, अपना तन भी देखूँ, तो तन भी स्वयं नहीं हूँ मैं। अपना मन देखूँ, पर मन भी खुद नहीं … Continue reading कविता : हम  या आप कौन हैं,