दो टूक :  यूपी में विपक्ष को विकास की चुनौती दे रही: योगी सरकार

राजेश श्रीवास्तव


लखनऊ। इन दिनों उत्तर प्रदेश की योगी सरकार दरअसल उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाने से एक कदम आगे सर्वोत्तम प्रदेश बनाने की गाथा लिख रही है। जिस उप्र को सपा-बसपा की सरकारों ने एक पिछड़ा, दंगों से जूझने वाला, जातियों के खाचे वाला उप्र बना दिया था। उसी प्रदेश की इन दिनों एक अलग छवि दिख रही है, जहां बीते छह वर्षों से कोई दंगा नहीं हुआ। जहां अब आर्थिक विकास या औद्योगीकरण सिर्फ वादा नहीं इरादा बन गया है। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में शुरू हुआ यूपी ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट (UPGIS)  का आयोजन विशुद्ध रूप से प्रदेश की आर्थिक सेहत सुधारने का मकसद लिए दिख रहा है। मोदी ने इस आयोजन में जब कहा कि मैं आपका स्वागत प्रधानमंत्री के नाते नहीं बल्कि इसलिए कर रहा हूं क्योंकि मैं उप्र का सांसद हूं, इस बात के मायने जो निकल रहे हैं, वह 202चार के लिए विकास की जो इबारत भाजपा की डबल इंजन की सरकार में लिखी जा रही है, उसकी एक बानगी भर है।

प्रधानमंत्री मोदी ने छह साल पहले प्रदेश की आर्थिक बदहाली का उल्लेख कर गैर भाजपा सरकारों को घेरा था। फिर 2017 में प्रदेश में सत्तारूढ़ हुई, योगी आदित्यनाथ की सरकार के फैसलों से इस स्थिति में बदलाव आया। उनके भाषण से साफ हो गया कि 2024 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर वह लोगों को समझाना चाह रहे हैं। कि भाजपा ने सिर्फ वायदे नहीं किए बल्कि उन्हें पूरा किया है। पीएम मोदी ने एक तरह से यह संदेश देने की कोशिश की है कि छह साल में यूपी की आर्थिक सेहत में इतने सुधार की बड़ी वजह डबल इंजन सरकार है। अगर किसी कारण केंद्र या प्रदेश में अलग-अलग दलों की सरकारें बन गईं। तो यूपी की आर्थिक सेहत में सुधार की प्रक्रिया रुक जाएगी। एक तरह से मोदी ने यह संदेश देने का प्रयास किया है। कि 202चार में लोकसभा की 80 सीटों के लिहाज से सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश के लोगों की जरा सी चूक हुई।

तो तरक्की की इस रफ्तार में ब्रेक लगाकर यूपी की आर्थिक सेहत फिर बिगड़ सकती है। देश के बड़े और चुनिंदा उद्योगपतियों और घरानों के बीच प्रधानमंत्री मोदी ने उत्तर प्रदेश को कई देशों से भी बड़ा बताते हुए देश की अर्थव्यवस्था का इंजन और ड्राइवर बताया। यूपी में पहले राजनेताओं की छवि वादा खिलाफी की बन गई थी। लोग यह मानकर चलने लगे थे कि चुनावी वायदों का कोई मतलब नहीं है। पीएम मोदी और योगी आदित्यनाथ ने राजनेताओं की इसी नकारात्मक छवि को अपनी राजनीतिक सफलता का जरिया बनाया।

राजनीतिक आलोचना के बावजूद अब हर कोई मानता है कि बीते आठ सालों में प्रधानमंत्री मोदी की छवि घोषणाओं पर काम करने वाले नेता के रूप में स्थापित हो गई है। तभी तो प्रधानमंत्री मोदी ने 2017 से पहले प्रदेश में बदहाल कानून-व्यवस्था, बदहाल सड़कों, आए दिन होने वाले करोड़ों रुपये के घोटालों का जिक्र करते हुए अतीत की याद दिलाई। साथ ही प्रदेश में भाजपा सरकार बनने के बाद तेजी से बन रहे एक्सप्रेस वे, देश में सबसे ज्यादा छह अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों के उत्तर प्रदेश में निर्माण, देश के दो डिफेंस कॉरीडोर में एक के यूपी में बनने, बिजली आपूर्ति दुरुस्त होने, एक के बाद एक नए विश्वविद्यालयों के निर्माण का उल्लेख कर इस बदलाव की कहानी को लोगों के दिल व दिमाग में भी उतारने की कोशिश की। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में खुद को उत्तर प्रदेश का बताते हुए कहा कि राज्य में उद्योगपतियों का निवेश पूरी तरह सुरक्षित रहेगा।

इसके लिए उन्होंने प्रदेश के साथ केंद्र सरकार से भी पूरा समर्थन व सहयोग देने के लिए आश्वस्त किया। साथ ही योगी ने भी इस समिट के जरिए लगभग 32 लाख करोड़ रुपये से अधिक के निवेश के समझौतों में नौ लाख करोड़ रुपये से अधिक पूर्वाचंल तथा चार लाख करोड़ रुपये से अधिक के निवेश से बुंदेलखंड में उद्योग-धंधे स्थापित करने की जानकारी दी। योगी ने बताया कि इस समिट (UPGIS) के जरिये हुए समझौतों से लगभग एक लाख युवाओं को नौकरी मिलेगी। यह बताने की जरूरत नहीं है कि पूर्वाचंल और बुंदेलखंड का विकास प्रदेश की सियासत का बड़ा मुद्दा रहा है। मोदी और योगी की सरकार का इन क्षेत्रों के विकास पर खास फोकस है ताकि जनता का आर्थिक सुधार भी हो और उसका राजनीतिक लाभ भी मिले। साफ है कि योगी सरकार 202चार में विकास को मुद्दा बना रही है।  जिसकी काट विपक्ष के पास नहीं है।

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