नीतीश की पुलिस सुपर फ्लॉप योगी की पुलिस सुपर कॉप

आदमी का ‘काम’ बोलता है ‘चाम’ नहीं। नीतीश कुमार और उनके डिप्टी तेजस्वी यादव सिर्फ बड़ी-बड़ी बातें करते हैं, मगर दोनों ने बिहार पुलिस को उसकी असली ड्यूटी यानी पुलिसिंग करने से रोक रखा है। नीतीश-तेजस्वी की पुलिस जहां मिनिस्टर, MP-MLA की सिक्योरिटी में तैनात है। वहीं यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पुलिस अपराधियों पर लगातार कहर बरपा रही है। योगी के सिपाही से लेकर डीजीपी तक पूरे फॉर्म में है। जो कार्य नीतीश की बुज़दिल पुलिस नहीं कर सकी, उसे योगी की कर्मठ पुलिस ने भोले की नगरी में ‘बम-बम’ कर दिया। नतीजतन बिहार के दो खूंखार गैंगस्टर वाराणसी में बीते 21 नवंबर को पुलिस की गोलियों से मुठभेड़ की भेंट चढ़ गए। हालांकि बिहार पुलिस दोनों को पागलों की तरह खोज रही थी। वैसे एनकाउंटर में दोनों का काम कैसे तमाम किया गया, रतींद्र नाथ की कलम से रिपोर्ट…


दिन था सोमवार और तारीख थी 21 नवंबर 2022। बाबा विश्वनाथ की नगरी बनारसी गुलाबी ठंड की आग़ोश में था। सुबह की पौ अभी फटी नहीं थी, हालांकि चिडिय़ों की चहचहाहट फिज़ा में गूंजने लगी थी। मंदिरों की घंटियां भी टनटना रही थीं। इसी दौरान बनारस में बड़ागांव पुलिस स्टेशन से सटे रिंग रोड पर गोलियों की ज़बरदस्त तड़तड़ाहट से तफऱीह के लिए निकलने वाले लोग अपने घरों में कुछ लम्हों के लिए दुबक गए। जब फायरिंग की आवाज थम गई, तो आहिस्ते-आहिस्ते वहां के बाशिंदे मकान से बाहर आए। लोगों की आंखें तब फटी की फटी रह गई, जब उन्होंने देखा कि रिंग रोड पुलिस की छावनी में तब्दील हो चुका था। शोर मचा दो खूंखार क्रिमिनल को पुलिस ने मौत की बलिबेदी पर चढ़ा दिया है। दोनों अपराधी न सिर्फ बिहार के निवासी थे, बल्कि दोनों सहोदर (भाई) भी थे। उनकी मोटर साइकिल पर तीसरा अपराधी भी सवार था, लेकिन दोनों तरफ की धांय-धांय के बीच वह फरार हो गया। वह मारे गए दोनों का सगा बंधु था। तीनों समस्तीपुर (बिहार) जिले के मोहिउद्दीननगर (#Mohiuddinnagar) थाने के आनंदगोलवा बस्ती के रहने वाले थे। मृतक के नाम रजनीश एवं मनीष सिंह थे। इनका भाई ललन पुलिस की आंखों से ओझल हो गया था। इनकाउंटर के दौरान पुलिस जवान शिबू सिंह जख्मी हो गया था। इनके पिता शिवशंकर बिहार ही रहते हैं।

सवाल उठना लाजिमी है कि रजनीश और मनीष के बारे में यूपी पुलिस को जानकारी कैसे मिली? दोनों का आपराधिक रिकॉर्ड क्या रहा है? दोनों हिस्ट्रीशीटर को दबोचने में नीतीश की पुलिस सुपर फ़्लॉप क्यों साबित हुई? इस बावत ‘नया लुक’ ने पाया कि इनके गृह प्रांत बिहार में इन्हें राजद के एक विधायक द्वारा पनाह मिलता था। तीनों नहीं चारों भाई उस राजद MLA के हमप्याला- हमनिवाला थे। चुनाव के वक्त उन्हें रुपये-पैसे से मदद करते थे। इसकी एवज़ में वो इन्हें राजनीतिक संरक्षण प्रदान करते थे। इनका असली धंधा था बैंक लूटना। तीनों बंधु ललन, रजनीश व मनीष को बिहार के एक पुलिस अफ़सर की हत्या और पंजाब नेशनल बैंक लूट कांड के बाद 29 मार्च 2017 को गिरफ्तार कर जेल की सींखचों में डाल दिया गया था। बिहार के बेलछी बाग टीला के PNB  ब्रांच में इस तिकड़ी ने दिनदहाड़े 60 लाख की डकैती डाली थी।

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गौरतलब है कि यह वही बेलछी है, जहां 27 मई 1977 को 11 हरिजनों को जीवित भून दिया गया था और इंदिरा गांधी हाथी पर सवार होकर बेलछी पहुंची थी। उस समय बेलछी राजनीतिक जियारतगाह बन गया था और यहीं से इंदिरा गांधी (#Indira Gandhi) की दोबारा सत्ता में वापसी की राह खुली थी। बेलछी के लोगों के साथ इंदिरा ने कई वायदे किए थे। किंतु क्या वह वायदे पूरे हुए? इस दौरान सत्ता के कई सवार बदल गए हैं लेकिन बेलछी का हालात नहीं बदला। बहरहाल, वारदात के वक्त बैंक गार्ड योगेश्वर पासवान, सुरेश सिंह एवं वाहन चालक अजीत यादव ने इनकी मुखालफत की थी, लिहाजा तीनों भाइयों ने बैंक के मुलाजिमों को मार डाला था। इसी साल आठ सितंबर को बाढ़ की कचहरी की हाजत में बंदी दीवार तोडक़र भागने में वो कामयाब हुए थे। यहां से चम्पत होने के बाद तीनों यूपी में शरण लिए हुए थे। बक़ौल वाराणसी पुलिस कमिश्नर ए. सतीश गणेश यूपी में किसने छुपा के रखा था, पता करने के लिए पुलिस की एक टीम गठित की गई है। यथाशीघ्र ही उस चेहरे को पुलिस बेनक़ाब कर देगी।

इन तीनों ने इसी आठ नवंबर को वाराणसी के रोहनिया थाना के जगतपुर इलाक़े में लक्सा पुलिस स्टेशन के SI  अजय यादव को गोली मारकर उनकी सरकारी पिस्टल, 10 कारतूल, मोबाइल और पर्स लूट लिया था। फिर क्या था? यूपी पुलिस ने ऑपरेशन ‘पाताल लोक’ चलाया। पुलिस को खबरची से सूचना मिली कि सोमवार 21 नवंबर की सुबह चार से छह बजे के बीच वे एक मोटरसाइकिल पर रिंग रोड से गुजरेंगे। लिहाजा सुबह के तीन बजे से ही पुलिस ने इलाके में पोजीशन ले रखा था। बहरहाल दोनों भाइयों को मौत की नींद सुलाने वाले SI बृजेश मिश्रा को बनारस के छितईपुर थाना तथा सब इंस्पेक्टर आरके पांडेय को लोहता पीएस का ऑफिसर इंचार्ज बना दिया है। यूपी के पुलिस महानिदेशक देवेंद्र चौहान ने एनकाउंटर में शामिल पुलिस टीम की हौसला अफजाई करने के लिए दो लाख रुपये का ईनाम देने का ऐलान भी किया है।

वैसे इनका आपराधिक रिकॉर्ड काफी पुराना है। वर्ष 2016 के मार्च में नीतीश के गृह जिला नालंदा के सेवानिवृत्त ASI को गोली मारकर इन दोनों ने पिस्टल छीन ली थी। इसके बाद साल 2016 के अप्रैल में महीने में बाढ में दरोगा सुरेश ठाकुर की दोनों भाइयों ने हत्या कर दी थी। मनीष, रजनीश और लल्लन ने साल 2016 के सितंबर में फतुआ इलाके के फोरलेन पर एक ASI की हत्या कर रिवाल्वर लूट ली थी। इनका ‘मोड्स ऑपरेंडी’ यह था कि यह ज़्यादातर पुलिस वालों की हत्या कर उनका हथियार छीन लेते थे। इसी हथियार की बदौलत ये ताबड़तोड़ अपराध किया करते थे।

इन ख़ूँख़ार भाइयों के पिता का नाम शिव शंकर सिंह है। जिनके छह बेटे और तीन बेटियां हैं। इनमें चार बेटा मनीष, रजनीश, लल्लन और बउआ कुख्यात अपराधी थे। सबसे बड़ा भाई पतलू सिंह एक निजी कम्पनी में काम करता है। एक भाई रंजीत कुमार रोड एक्सीडेंट में मारा गया था। बउआ सिंह फिलवक्त बैंक लूटकांड में हाजीपुर जेल में बंद है। यह पूरा कुनबा जल्दी अमीर बनना चाहता था, इसीलिए बैंक को ही टारगेट करता था।  बहरहाल इन दोनों के मारे जाने से न सिर्फ यूपी पुलिस बल्कि बिहार पुलिस ने भी चैन की सांस ली है।

किसे कहते है कॉप?

‘कॉप’ अंग्रेज़ी अल्फॉज है, इसका मतलब होता है पुलिस अधिकारी। यह शब्द अमेरिका की पुलिस के लिए ज़्यादातर इस्तेमाल होता रहा है। लेकिन आहिस्ते-आहिस्ते यह शब्द हिंदुस्तान (#India) में भी फैलता गया। फिर जाबांज पुलिस अधिकारी के लिए इस शब्द का प्रयोग होने लगा। यूं तो हिंदुस्तान में कई जाबांज पुलिस अधिकारी हुए, लेकिन सुपरकॉप की श्रेणी में आज भी दो ही आईपीएस का नाम लोग गर्व से लेते हैं। एक हैं- जेएफ रिबेरो (जूलियो फ्रांसिस रिबेरो) जो की उम्र के 90वें पड़ाव पर पहुँच चुके हैं और रिटायरमेंट (Retirement) के बाद मुंबई में रहते हैं। दूसरे थे केपीएस गिल, जिन्होंने पंजाब में आतंकवाद की चूलें हिला दी थी।

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