चार के बजाए एक दो कंबल से ठंड काट रहे कैदी

प्रदेश की जेलों में बंदियों की अनुपात में कंबलों की संख्या काफी कम


लखनऊ। इस कडक़ड़ाती ठंड में प्रदेश की जेलों में कैदियों की जीना मुहाल हो गया है। प्रदेश की जेलों में कैदियों की संख्या के अनुपात में कंबलों की संख्या काफी कम है। यही वजह है कि कई कैदी तीन के बजाए दो कंबलों से ही काम चला रहे है। यही नहीं कैदियों को घर से कंबल मंगाने की अनुमति देने और स्वयंसेवी संस्थाओं से कंबल लेने के बावजूद कैदियों को ठंड से बचाव के लिए जूझना पड़ रहा है। एक दिन पहले विभागीय अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक में जेलमंत्री स्वतंत्र प्रभार से अधिकारियों से बंदियों के लिए कंबल उपलब्ध कराने के लिए स्वयंसेवी संस्थाओं से सम्पर्क करने का निर्देश इस बात की पुष्टिï करता नजर आता है।

वर्तमान समय में प्रदेश की 72 जेलों में करीब सवा लाख बंदी निरुद्ध हैं। इसमें करीब 95 हजार विचाराधीन बंदी और शेष सजायाफ्ता कैदी निरुद्ध है। जेल विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक जेल में बंद कैदियों को सामान्य परिस्थितियों में तीन कंबल दिए जाने का प्रावधान है। इसके अलाव बीमार, बुजुर्ग और असहाय बंदियों को तीन से पांच कंबल दिए जाने की व्यवस्था सुनिश्चित की गई है। हालात एकदम विपरीत है। इस समय बंदियों की संख्या के अनुपात में कंबलों की संख्या काफी कम है। कंबलों की संख्या कम होने की वजह से कई बंदियों को दो कंबल के सहारे ही रात गुजारने के लिए विवश होना पड़ रहा है। हकीकत यह है कि कंबलों के अभाव में कैदियों का जीना मुहाल हो गया है।

सूत्रों का कहना है कि जेलों में बंदियों के अनुपात में कंबलों की संख्या कम होने की वजह से ठंड बढऩे पर जेल प्रशासन के अधिकारी बंदियों को घर से कंबल बनाने की अनुमति प्रदान कर देकर उन्हें ठंड से बचाने का प्रयास करते है। इसके अलावा बंदियों को ठंड से बचाने के लिए जेल प्रशासन के अधिकारी जनपद की स्वयंसेवी संस्थाओं से सम्पर्क कर बंदियों के लिए कंबल की मांग करते है। हकीकत यह है कि वर्तमान समय में जेलों में सरकारी कंबल के अनुपात में स्वयंसेवी संस्थाओं के दान किए गए कंबलों की संख्या अधिक है। जेल के अंदर खुले अडग़ाड़ों में बंदियों को रखा जाता है। शीतलहर में ठंडी हवाओं से बंदियों का जीना मुहाल हो गया है। उधर इस संबंध में जब जेल मुख्यालय के एक वरिष्ठï अधिकारी से बातचीत की गई तो उन्होंने कहा कि जेलों में बंदियों को पर्याप्त मात्रा में कंबल उपलब्ध कराए जा रहे है। इसके लिए स्वयंसेवी संस्थाओं की मदद भी ली जा रही है।

दो साल से नहीं खरीदा गया कोई कंबल

बंदियों के लिए पर्याप्त मात्रा में कंबल उपलब्ध नहीं करा पाने के लिए जेल मुख्यालय के अधिकारी भी कम जिम्मेदार नहीं है। जेल मुख्यालय के अधिकारियों ने पिछले दो साल से कोई कंबल की खरीद फरोख्त की ही नहीं है। सूत्रों की माने तो करीब एक माह पूर्व कंबल की आपूर्ति के लिए टेंडर जरूर निकाला गया। लेकिन बिट पडऩे के बाद भी टेंडर नहीं हो पाया। वर्ष-2020-21 और 2021-22 में जेल मुख्यालय की ओर से एक भी कंबल नहीं खरीदा गया। वहीं स्वयंसेवी संस्थाओं से दान में कंबल लेकर बंदियों को इस कड़ाके की ठंड से बचाने का प्रयास किया जा रहा है।

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