खिचडी पर लगता है मेला: सूर्य के उत्तरायण होने पर कहलाता है देवताओं का दिन

बलराम कुमार मणि त्रिपाठी
बलराम कुमार मणि त्रिपाठी

  • मठों मंदिरों और आश्रमों में चढ़ती है खिचड़ी
  • मौसम का बदलाव,हर घर मे होता है स्नान के बाद दान बनती है खिचड़ी
  • संक्रातिके एक दिन पहले होती है लोहिड़ी
  • मोक्ष प्रद होता है उत्तरायण,होते हैं शुभ कार्य

मकर राशि मे सूर्य का आगमन,यानी कि सूर्य का उत्तरायण में प्रवेश एक पुनीत घटना है। जब देवताओं का दिन शुरु होता है,छ: महीने उत्तरायण शुरू होता हैं,जिन दिनों सभी तरह के मंगलकार्य किए जाते है। नूतन गृहप्रवेश,यज्ञोपवीत,मंत्र दीक्षाग्रहण,भूमिपूजन,विवाह,चौल कर्म आदि तो होते ही है, मृत्यु भी मोक्षकारक माना जाता है। भीष्मपितामह ने वाणशय्या पर रहते हुए उत्तरायण की प्रतीक्षा कर प्राणोत्सर्ग किया था।

अर्जुन के इस प्रश्न पर कि योगसाधन करने वाला योगभ्रष्ट होजाय तो उसकी गति कैसी होती है ? श्रीकृष्ण ने जवाब दिया- “शुक्लेपक्षे गते ह्येषाम् षण्मासा उत्तरायणम्।” पुण्यवान लोग साधक,तपस्वी,योगी जो किन्हीं कारणों से ईश्वर तत्व तक नहीं पहुंच सके या है ऐसे परम योगी जो इन छ: माहों मे शरीर त्यागते हैं। वे किन्हीं कारणों से मुक्त नहीं हुए तो ऐसे लोग जन्म भी लेते हैं तो ‘ सतानाम् श्रीमताम् गेहे योग भ्रष्टोऽभिजायते। अथवा योगिनामेव कुले भवति धीमताम्…। अर्थात वे सज्जनों -श्रीमानों के घर जन्म लेते हैं,अथवा योगियों के घर पैदा होते हैं। तत्र तं बुद्धि संयोगं लभते पूर्व देहिकम्। जहां पूर्व जन्म की स्मृतियां जल्द ही पा लेते हैं और फिर साधना पथ पर उससे आगे बढ़ जाते हैं। ऐसा जन्म भी दुर्लभतर होता है।

उत्तरायण के शुभारंभ की यह तिथि ही सूर्य के धनुराशि से मकर मे जाने पर मकर संक्राति कहलाती है। इस दिन नई फसल का धान कूट कर उसका चावल और उड़द के दाल की खिचड़ी संतों महात्माओं के मठों,मंदिरों और आश्रमों मे चढ़ाया जाता है। हर परिवार का प्रत्येक सदस्य दान करता है‌। तिल के लड़डू का भी दान करता है और दक्षिणा देता है। मौसम के परिवर्तन का काल होने से खिचड़ी खाने की भी परंपरा है। संक्रांति के एक दिन पहले पंजाब आदि प्रांतों मे लोहिड़ी का पर्व मनाया जाता है। जिसमें साल भर के भीतर किसी घर मे विवाह,पुत्र जन्म या शुभ कार्य होने पर वह आग के चारो तरफ नृत्य गीत के साथ लोहिड़ी मनाई जाती है।

संक्राति पर्व पर लगता है मेला

गोरखनाथ मंदिर- कबीर आश्रम मगहर मे इस( मकर संक्रांति के) अवसर पर बड़ा मेला लगता है। श्रद्धालु खिचड़ी चढ़ाने दूर दूर से आते हैं। प्रयागराज में माघ माह मे हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु कल्पवास करते हें। मकरसंक्राति,गणेश चौथ,मौनी अमावस्या वसंत पंचमी,पूर्णिमा पर स्नानार्थियों की विशेष भीड़ होती है।इस वर्ष मकर संक्रांति 15जनवरी को है।

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