
जयपुर से राजेंद्र गुप्ता
एक जनवरी ग्रेगोरियन कैलेंडर का पहला दिन होता है। वर्ष 1582 में पोप ग्रेगोरी एक3वें ने जूलियन कैलेंडर में सुधार करते हुए एक जनवरी को नए साल की शुरुआत का दिन तय किया।
नए साल का धार्मिक महत्व भी है, इसलिए कई देशों में इस दिन अवकाश रहता है। असल में एक जनवरी ईसा मसीह के जन्म के आठवें दिन होने वाले एक संस्कार का दिन भी है।
दुनिया में सबसे पहले समोआ द्वीप पर नया साल आता है। वहां भारतीय समयानुसार बुधवार दोपहर 3.30 बजे से ही शुरुआत हो जाएगी।
इसके बाद न्यूजीलैंड के चथाम द्वीप में भारतीय समयानुसार बुधवार 3.45 बजे से नए साल के समारोह शुरू होंगे। इसके बाद रूस और ऑस्ट्रेलिया में नए साल का उत्सव शुरू होगा।
सबसे अंत में अमेरिका के एक छोटे से इलाके बेकर आइलैंड में नया साल आता है, जहां भारतीय समयानुसार सायं 5.30 बजे से नए साल का उत्सव शुरू होगा।
ऐसा माना जाता है कि नए साल पर रिजॉल्यूशन करने का चलन 2600 ईसा पूर्व में ही बेबीलोनिया में शुरू हो गया था।
इटली में नए साल पर चर्च की घंटियां बजाई जाती हैं, स्विट्जरलैंड में ड्रम बजाए जाते हैं और उत्तर अमेरिका में सायरन बजाए जाते हैं।
स्पेन के लोग नए साल पर 12 अंगूर खाते हैं ताकि साल के 12 महीने उनके लिए लकी रहें। बेल्जियम में बच्चे नए साल की शुरुआत पर अपने पेरेंट्स को खास लेटर लिखते हैं।
ग्रीक में नए साल के अवसर पर लोग अपने दरवाजे पर प्याज लटकाते हैं। इसे सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। डेनमार्क में लोग नए साल के अवसर पर बड़ा सा केक काटते हैं।
जापान के लोग ऐसा मानते हैं कि इस दिन नव वर्ष के देवता धरती पर आते हैं। इस दिन बौद्ध मंदिरों में तोशिगामी देवता के स्वागत के लिए 108 बार घंटियां बजाई जाती हैं।
एस्टोनिया में लोग नव वर्ष की पूर्व संध्या पर 12 बार खाना खाते हैं। अर्जंटीना में लोग नव वर्ष की पूर्व संध्या पर बीन्स खाते हैं जो अगले वर्ष में करियर के लिए भाग्यशाली माना जाता है।
दुनिया में ज्यादातर जगहों पर लोग नए साल की पूर्व संध्या पर पार्टियां करते हैं, क्लबों में जाते हैं और चौराहों पर जमा होकर हंगामा करते हैं।
ज्योतिषी और हस्तरेखाविद/ सम्पर्क करने के लिए मो. 9611312076 पर कॉल करें,