निजाम जिलानी
लुंबिनी/नेपाल । नेपाल के अगले प्रधानमंत्री के रूप में माओवादी नेता प्रचंड ने राष्ट्रपति भवन शीतल निवास में शपथ ग्रहण की। नेपाली कांग्रेस के गठबंधन में प्रमुख सहयोगी रहे प्रचंड प्रधानमंत्री बनने के लिए एमाले नेता केपी शर्मा ओली के साथ आ गए। उन्हें ओली के 78 सांसदों सहित पांच अन्य दलों का समर्थन प्राप्त है। बहुमत के लिए जरूरी 138 सदस्य संख्या के मुकाबले प्रचंड के पास 164 सदस्यों का समर्थन है। सभी सदस्यों ने राष्ट्रपति को शपथपत्र देकर प्रचंड को समर्थन की घोषणा की है। आम चुनाव में किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला था लेकिन नेपाली कांग्रेस गठबंधन के पास मात्र दो सीट की ही कमी थी। नेपाली कांग्रेस गठबंधन के सरकार बनने की प्रबल संभावना के बीच रविवार को प्रचंड ओली के साथ जा मिले और आनन फानन में उन्हें प्रधानमंत्री बनाने की घोषणा भी कर दी गई।
इसके पांच अन्य दल जो नेपाली कांग्रेस के साथ जाने को तैयार थे वे भी एमाले के साथ चले गए। प्रचंड की सरकार में तीन उप प्रधानमंत्री भी होंगे। 2008 में जब वह पहली बार नेपाल की सत्ता पर काबिज हुए तो उस वक्त उन्होंने भारत विरोधी रुख अपनाते हुए लगातार चीन के साथ संबंधों को मजबूत किया। उन्होंने स्थापित परम्परा को तोड़ते हुए बीजिंग ओलिंपिक के बहाने सबसे पहले चीन की यात्रा की। उन्होंने 1950 की भारत-नेपाल शांति संधि में बदलाव के लिए आवाज उठाया और मधेश के उग्र आंदोलनों को भी भारत का आवाज बताया है। ऐसे में सवाल ये है सत्ता पाने के बाद प्रचंड और ओली अपने नीतियाँ और भारत के संबंधों को कितना परवान चढ़ाते है।