न्यायतंत्र बनाम राजतंत्र से लोकतंत्र खतरे में!
यदि सर्वोच्च न्यायालय और संसद परस्पर उदार सहयोग करने पर गौर नहीं करते हैं तो भारत के संवैधानिक इतिहास में भयावह विपदा की आशंका सर्जेगी। न्यायपालिका और विधायिका का आमना-सामना तीव्रतर होना लोकतंत्र पर ही प्रश्न लगा देगा। कल ही (गुरुवार, 15 दिसंबर 2022) राज्यसभा में NJAC (जजों की नियुक्ति-आयोग) पर कड़वी बहस से ऐसे … Continue reading न्यायतंत्र बनाम राजतंत्र से लोकतंत्र खतरे में!
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