कविता: बागवाँ बर्बाद करने के लिये
बरबाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी है, हर साख पे उल्लू बैठे हैं, अंजामें गुलिस्ताँ क्या होगा? बागवाँ बर्बाद करने के लिये केवल एक वानर ही बहुत है, पूरा बगीचा वानरों से है भरा, बगीचा यूँ ही नहीं उजड़ रहा। ये भी पढ़ें बन्दर क्या जाने अदरक का स्वाद यह शहर रहते … Continue reading कविता: बागवाँ बर्बाद करने के लिये
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