मनुष्य का स्वभाव इस तरह है कि
जो साथ जाना है उसे छोड़ रहे हैं,
जो यहीं रह जाना है हम सभी उसे
जोड़ गाँठ कर जोड़ते जा रहे हैं ।
प्रेम व विश्वास में एक ही समानता है,
कि दो में से किसी को भी जबरदस्ती
किसी में पैदा नहीं किया जा सकता है,
यह तो वास्तविक स्वभाव में होता है।
मनुष्य का सबसे अच्छा मित्र,
उसका अपना स्वास्थ्य होता है,
जिस दिन स्वास्थ्य जवाब देता है,
तो कोई मित्र साथ नहीं दे पाता है।
जीवन में कड़ी से कड़ी परीक्षा के
बाद ही सफलता की प्राप्ति होती है,
कठिन परिश्रम के बाद ही आनंद व
संतुष्टि की सच्ची अनुभूति होती है।
जब तक हमें ठोकर नहीं लगती हैं,
तब तक जीवन की कठिनाईयों का
हमको अनुभव कोई नहीं हो पाता है,
ठोकरें खा इंसान सजग हो जाता है।
आदित्य कहा जाता है कि जीतने
वाले इंसान कभी हार नहीं मानते हैं,
जो हार मान कर चुप बैठ जाते हैं,
वह कभी विजय नहीं पा सकते हैं।