नया लुक ब्यूरो
राजधानी दिल्ली स्थित जामा मस्जिद में लड़कियों के अकेले आने पर रोक लगा दी गई है। गुरुवार को इसके आदेश मस्जिद के बाहर चस्पा दिए गए हैं। जामा मस्जिद के इस आदेश के बाद सियासी माहौल गरमा गया है। जामा मस्जिद के पीआरओ सबीउल्लाह खान ने न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत के दौरान कहा, महिलाओं की एंट्री पर रोक नहीं लगाई गयी है। जो अकेली लड़कियां यहां आती हैं, लड़कों को टाइम देती हैं, यहां आकर गलत हरकतें होती हैं, वीडियो बनाए जाते हैं। सिर्फ इन चीजों को रोकने के लिए यह पाबंदी लगाई गयी है। उन्होंने आगे कहा, आप परिवार के साथ आएं कोई पाबंदी नहीं है, मैरिड कपल आएं कोई पाबंदी नहीं है।
लेकिन किसी को टाइम देकर यहां न, मस्जिद को मीटिंग पॉइंट बना लेना, पार्क समझ लेना, टिकटॉक वीडियो बनाना, डांस करना, यह किसी भी धार्मिक जगह के लिए मुनासिब नहीं है। चाहे वो मंदिर हो, मस्जिद हो, गुरुद्वारा हो। पीआरओ ने आगे कहा, ‘हमारा पाबंदी लगाने का मकसद यही है कि मस्जिद इबादत के लिए है और उसका इस्तेमाल सिर्फ इबादत के लिए हो। जामा मस्जिद के इस फरमान के बाद दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालिवाल ने कहा कि ‘जामा मस्जिद में महिलाओं की एंट्री रोकने का फैसला बिलकुल गलत है। जितना हक एक पुरुष को इबादत का है, उतना ही एक महिला को भी। मैं जामा मस्जिद के इमाम को नोटिस जारी कर रही हूं। इस तरह महिलाओं की एंट्री बैन करने का अधिकार किसी को नहीं है।
वहीं विश्व हिंदू परिषद ने इस फरमान को ‘महिला विरोधी’ बताया है। विहिप के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल ने कहा कि ‘संविधान ने जो अधिकार दिए हैं, उनपर भी प्रतिबंध लगाए जा रहे हैं। हरकत तो लड़के करते हैं और आप लड़कियों को कठघरे में खड़ा कर रहे हो। बता दें कि मुगल साम्राज्य के शासक शाहजहां ने 1950 से 1956 के बीच इसे स्थापित किया गया था, 5000 से ज्यादा मजदूरों द्वारा लाल व सफेद मार्बल के पत्थरों की विशेष कारीगरी से इसे तैयार किया गया था। आज जामा मस्जिद की गिनती हिंदुस्तानी ही नहीं बल्कि विश्व की ऐतिहासिक धरोहरों में की जाती है। यहां से जारी हुआ फरमान अन्य मुस्लिम देशों के लिए भी मायने रखता है।