देव पितृ कार्य अमावस्या को सुबह से ही शोभन योग लग रहा है,

जयपुर से राजेंद्र गुप्त


शुभ होता है शोभन योग

हिंदू कैलेंडर के अनुसार, मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मार्गशीर्ष अमावस्या होती है। मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने और उसके बाद दान करने का विशेष महत्व है। ऐसा करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और पितर भी तृप्त होते हैं। मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन पितृ दोष से मुक्ति के उपाय भी किए जाते हैं।

मार्गशीर्ष अमावस्या की तिथि

पंचांग के अनुसार, इस साल मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 23 नवंबर दिन बुधवार को सुबह 06 बजकर 53 मिनट से प्रारंभ हो रही है और इस तिथि का समापन 24 नवंबर को प्रात: 04 बजकर 26 मिनट पर हो रहा है। ऐसे में मार्गशीर्ष अमावस्या 23 नवंबर को है क्योंकि 24 नवंबर को अमावस्या तिथि सूर्योदय पूर्व ही खत्म हो जा रही है। 23 को सूर्योदय सुबह 06 बजकर 50 मिनट पर हो रहा है। अमावस्या की उदयातिथि 23 नवंबर को प्राप्त हो रही है।

मार्गशीर्ष अमावस्या को स्नान-दान मुहूर्त

मार्गशीर्ष अमावस्या को प्रात:काल से ही शोभन योग लग रहा है, जो दोपहर 03 बजकर 40 मिनट तक है। यह शुभ योग है। वहीं मार्गशीर्ष अमावस्या को प्रात: 06 बजकर 40 मिनट से सुबह 08 बजकर 01 मिनट तक शुभ उत्तम मुहूर्त है। इस वजह से मार्गशीर्ष अमावस्या का स्नान और दान प्रात:काल से लेकर सुबह 08:01 बजे के मध्य तक कर लेना चाहिए।

 

मार्गशीर्ष अमावस्या पर सर्वार्थ सिद्धि योग

इस साल मार्गशीर्ष अमावस्या पर सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग बना हुआ है। हालांकि इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग रात 09 बजकर 37 मिनट से अगली सुबह 06 बजकर 51 मिनट तक है। इस पर ही अमृत सिद्धि योग भी बन रहा है।

मार्गशीर्ष अमावस्या का महत्व

सभी अमावस्या के समान ही मार्गशीर्ष अमावस्या भी पितरों के लिए महत्वपूर्ण होती है। इस दिन नदी में स्नान के बाद पितरों को जल से तर्पण करना चाहिए। इससे पितर प्रसन्न और तृप्त होते हैं। जिन लोगों पर पितृ दोष होता है, उनको मार्गशीर्ष अमावस्या को अपने पितरों के लिए पिंडदान, श्राद्ध, तर्पण आदि कार्य करना चाहिए। इस दिन पूजा के समय गजेंद्र मोक्ष का पाठ करना चाहिए।


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