कविता : बोया पेंड़ बबूल का आम कहाँ से होय

करता था सो क्यों किया, अब करि क्यों पछताय। बोया पेड़ बबूल का आम कहां से खाये॥ बुरा मत सोचो, बुरा मत कहो और बुरा मत देखो, गांधी जी के तीनों बानरों, जैसा सबका जीवन होय, किसी का बुरा जो सोचना अपना बुरा ही होय, औरों का भला करो तो, अपना भला भी होय ॥ … Continue reading कविता : बोया पेंड़ बबूल का आम कहाँ से होय