के. विक्रम राव
इतने सहमे रहते थे निर्वाचित भारतीय नेता, मानों इजराइल अछूत जैसा हो। मोदी ने इस विकृत नजरिए को तोड़ा। इसी का परिणाम है कि अब इस्लामी मुल्क भी दौड़ लगा रहें हैं कि इजराइल यारी गाढ़ी हो। इस्लाम के खलीफा का गढ़ रहे तुर्की के कट्टरवादी राष्ट्रपति रेसिप तैय्यब इरदुगान (31 अगस्त 2021) ने घोषणा की थी कि मुसलमान अलअक्सा मस्जिद पर कब्जा करेंगे। इन्हीं ने (18 अगस्त 2021) के इजराइल में इराकी दूतावास खोल दिया। इसराइल को नेस्तनाबूत करने की ठानने की अरब राष्ट्रों से कई ने शीघ्र ही उसे मान्यता दे दी।
इनमें पहले है मोरक्को, अबू धाबी, संयुक्त अरब अमीरात, लेबनान, सूडान इत्यादि। मक्का-मदीना वाले सऊदी अरब ने भी इजरायल से दोस्ती बढ़ा ली। इजराइल से करीबी बढ़ाकर मोदी ने भारतीय देश को अधिक सेक्युलर और सुरक्षित बनाया है। पाकिस्तानी घुसपैठिए सीमा पर सुरंग खोदकर पहुंचते हैं। नगरोट (जम्मू) में पचास मील तक सुरंग बनाया था। इसराइल अब इन सुरंगों को खोजने के यंत्र देगा। ड्रोन तो दे ही रहा है।
गत जून माह में योगी आदित्यनाथ ने इस्राइली राजदूत नाओन गिलोन से लखनऊ में भेंट की थी। इजराइल पुलिस का खुफिया तंत्र, फॉरेंसिक तकनीक और अराजक भीड़तंत्र से निपटने का तरीका दुनिया भर में जाना जाता है। इन्हीं तौर-तरीकों से प्रदेश पुलिस को लैस कर हाईटेक बनाने की योजना है। खासतौर से इजराइल से कृषि आधुनिकरण, किसानों को पानी के बेहतर उपयोग, बुंदेलखंड में पेयजल उपलब्धता और रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में भी उत्तर प्रदेश होगा। अब पुराने मित्र नेतनयाहू के सत्तासीन होने से मोदी लाभदायक सहायता लायेंगे। भारत इजराइल मैत्री आर्थिक दृष्टि से भी सुदृढ़ होंगे।