दुर्गा प्रतिमाओं को अंतिम रूप देते कलाकार छोटेलाल,35 मूर्तियां बनाए जाएंगे

पूरे नो दिन इन बातों का ध्यान रखें,आचार्य शिव मोहन

रामसनेहीघाट/बाराबंकी। पितृ पक्ष खत्म होने के बाद। शारदीय नवरात्रि की तैयारियां मंदिरों से लेकर गांव, शहरो तक जोरो से शुरु। शारदीय नवरात्रि का पावन पर्व सोमवार से शुरू हो रहा है रामसनेहीघाट के क्षेत्र में दुर्गा पूजा को लेकर तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं मंदिरों व पंडालों की तैयारियों से लेकर मूर्तिकार देवी मां की प्रतिमा को अंतिम रूप देने में व्यस्त हैं । पंडालों में स्थापित करने के लिए इस बार मूर्ति कारों ने 5 फीट से लेकर 7फीट तक की प्रतिमा बनाई है। तहसील रामसनेहीघाट के सुरजापुर मोड़ लखनऊ अयोध्या राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे प्रतिमा बना रहे छोटे लाल कारीगर का कहना है कि कोरोना काल में आर्थिक संकट झेलने के बाद उम्मीद जगी है लेकिन प्रतिमा को सजाने का सामान दो गुना महंगा हो चुका है। प्रतिमाओं को गढ़ने का काम सात सालों से करते आ रहे हैं। शारदीय नवरात्रि हिंदुओं के लिए एक महत्वपूर्ण पर्व में से एक है 26 सितंबर से घर-घर मां अम्बे की नो दिन विधि विधान से देवी मां के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा-अर्चना बड़े हर्षोल्लास के साथ होती है।

प्रतिमा बना रहे छोटे लाल कारीगर ने पत्रकारों से खास बातचीत करते हुए बताया कि शारदीय नवरात्रि को लेकर मूर्ति बनकर तैयार हो गई है देर रात तक दुर्गा मां की मूर्ति का अंतिम रूप भी पूरा हो जाएगा। यह भी बताया कि झील की मिट्टी ओर कच्चे रंग से बनाई जाती है जो पानी में डालते ही खुल जाती। जिसकी वजह से पर्यावरण प्रदूषण बचाव होगा। प्रतिमाओं के निर्माण में बांस, सूत्री, किले, बोरो , और रंग-बिरंगे कपड़ों कागज का इस्तेमाल किया जाता है । छोटेलाल कारीगर का कहना है कि कठिन नियमों का पालन करते हुए मां के प्रतिमा को साकार रूप देते हैं ऐसी कोई देवी प्रतिमा नहीं है जिसकी आंखों में तेजी ना दिखाई दे। मूर्ति के भाव के हिसाब से आंखों को डिजाइन किया जाता है। मूर्ति बनाने में सबसे कठिन काम आंखें बनाना है। आंखों से ही मूर्ति की शोभा ,खूबसूरती बढ़ती है । मूर्ति के भाव के हिसाब से आंखों का डिजाइन किया जाता है मां के चेहरे पर दिखाना है वही भाव मूर्तिकार को अपने मन में भी साधना होता है हर वर्ष करीब 3 माह का समय दुर्गा पूजा से जुड़ी तैयारियों में लगाना पड़ता है हर साल छोटे से बड़ी करीब 33से 35 प्रतिमाएं बनाते हैं। इनमें माता की आकृति के अलावा अन्य देवी-देवताओं समय शेर और दानव के रूप में भी शामिल होते हैं 5 से 7 फीट की मूर्ति बनाई जा रही है मूर्तियों के आकार के अनुसार कीमतें होती हैं।

पूरे नो दिन इन बातों का ध्यान रखें,आचार्य शिव मोहन

आचार्य शिव मोहन ने जानकारी देते हुए बताया कि नवरात्रि नो दिन तक मां अम्बे की आराधना करना चाहिए पूरे 9 दिन स्वास्तिक भोजन करना चाहिए और इस दिन मांस, मछली, लहसुन , प्याज और शराब का सेवन करने से बचना चाहिए। इसके साथ ही जिस घर में मां अम्बे की अखंड ज्योति जलाई जाती है उस घर को वीरान ना छोड़े जो भी लोग नवरात्रि पर्व में पूरे नो दिन व्रत रखते हैं वह नो दिनों तक बाल, दाढ़ी और मूंछओं में कैंची ना लगवाए। इन नियमों के पालन करने से देवी मां की महिमा बस्ती है सच्चे मन से पूजा अर्चना करने से भक्तों की मनोकामना पूर्ण होती है।

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