ऋषि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र,
वेद व्यास व आदर्श गुरू संदीपन,
श्रीराम व श्रीकृष्ण के शिक्षा मित्र,
जिनकी शिक्षा से वे बने सदचरित्र।
यद्यपि वे ऋषि मुनि गुरूवों के गुरु थे,
क्योंकि श्रीराम व श्रीकृष्ण के गुरु थे,
आजीवन श्रीराम व श्रीकृष्ण ऐसे गुरु थे,
जो स्वयं भगवान विष्णु के अवतार थे।
श्रीराम ने सभी भ्राताओं, प्रजा ज़नो,
माता सीता, पवन पुत्र श्री हनुमान,
महाबली बाली, सुग्रीव, विभीषण,
सभी के शिक्षक व मित्र थे महान।
श्रीकृष्ण की शिक्षा पार्थ के साथ ही
जगत को साक्षात् श्रीमदभगवद्गीता है,
उनके गीता के उपदेशों से ही हर प्राणी,
सारा जीवन सदियों से आया जीता है।
परंतु मैं मानता हूँ कि इस संसार में,
हर प्राणी शिक्षक है जो जीवित है,
जीवित ही क्यों, जो जीवित नहीं है,
वह भी तो कोई न कोई ज्ञान देता है।
‘शिक्षक हौं सिगरे जग को’ यह
सुदामा ने अपनी पत्नी से कहा था,
उनकी पत्नी ने ही उन्हें श्री कृष्ण से
मदद लेने के लिये ज्ञान दिया था ।
माता, पिता, अग्रज और अग्रजा,
सब दिग्गज शिक्षक भी होते हैं,
इस दुनिया के हर व्यक्ति किसी
न किसी को कुछ तो शिक्षा देते हैं।
डा. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की शिक्षण
प्रतिभा को सारा विश्व नमन करता है,
हर भारतवासी शिक्षक दिवस पर आज,
आदित्य उनको शत शत प्रणाम करता है।