साँस्कृतिक राष्ट्रवाद का संदेश

डॉ दिलीप अग्निहोत्री

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ नाथ ने इंदौर में सनातन संस्कृति के गौरव का संदेश दिया।  उनके विचार अवसर के अनुकूल थे। उन्होंने लोकमाता महारानी अहिल्याबाई होल्कर की स्मृति में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित किया। इसके अलावा इंदौर में ही छत्रपति शिवाजी की प्रतिमा का अनावरण किया। अहिल्याबाई और शिवाजी ने साँस्कृतिक राष्ट्रवाद की अलख जगाई थी। विदेशी आक्रांताओ के उस दौर में उन्होंने देश के स्वाभिमान को कमजोर नहीं होने दिया। राष्ट्रवाद पर गर्व की अनुभूति करने वाले प्रत्येक व्यक्ति ऐसी विभूतियों से सदैव प्रेरणा लेता है। योगी ने कहा कि भारत को महाशक्ति बनने से दुनिया की कोई ताकत रोक नहीं सकती। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में ही भारत दुनिया की महान ताकत के रूप में उभर रहा है। यदि हमें भारत को दुनिया की एक महान ताकत के रूप में स्थापित करना है, तो भारत की परम्परा,सनातन धर्म की परम्परा,आध्यात्मिक व सांस्कृतिक परम्परा को आगे बढ़ाने वाले महापुरुषों और राष्ट्रनायकों, स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के प्रति सम्मान और गौरव की अनुभूति हर भारतवासी के मन में होनी चाहिए।

इंदौर में विगत एक शताब्दी से अहिल्योत्सव समिति द्वारा देवी अहिल्या पुण्य स्मरण समारोह का आयोजन किया जा रहा है। इस बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अहिल्योत्सव में सहभागी हुए। उन्होंने कहा कि शासक अचानक पूज्यनीय नहीं हो जाता। महारानी अहिल्याबाई ने राष्ट्र सेवा में अपना जीवन समर्पित कर दिया था। परिस्थितियां पूरी तरह प्रतिकूल थीं। विदेशी हुकूमत थी। ऐसे माहौल में महारानी अहिल्याबाई एक रियासत से आगे बढ़कर भारत के सांस्कृतिक वैभव की पताका नयी ऊँचाइयां प्रदान की। इसलिए वे लोकमाता के रूप में हम सभी के लिए स्मरणीय व पूज्य बनी हैं। वह आदर्श शासक थीं कहा कि आक्रान्ताओं की परम्परा पर विश्वास करने वाले लोग सनातन को अपमानित करने का कार्य कर रहे हैं। सनातन धर्म की परम्परा पर गौरव की अनुभूति करने वाले लोकोद्धार व सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के अभियान को पूरी निर्भीकता के साथ आगे बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। 18वीं सदी में लोकमाता देवी अहिल्याबाई इसी ध्वज पताका को लेकर चली थीं। श्री काशी विश्वनाथ का वर्तमान मन्दिर देवी अहिल्याबाई की देन है। काशी विश्वनाथ कॉरिडोर की स्थापना के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विशेष रूप से कहा था कि लोकमाता देवी अहिल्याबाई का एक बड़ा स्मारक यहां बनना चाहिए। काशी विश्वनाथ मन्दिर में लोकमाता अहिल्याबाई का भव्य स्मारक बना है।

सोमनाथ मन्दिर के पुनरुद्धार का कार्य देवी अहिल्याबाई ने किया था। आज श्री काशी विश्वनाथ धाम बन रहा है, तो उज्जैन में महाकाल में महाकाल लोक का निर्माण हो रहा है। सोमनाथ, द्वारका व उत्तराखण्ड के केदारनाथ में भगवान केदारनाथ के भव्य लोक की स्थापना का कार्य हो रहा है। बद्रीनाथ धाम में भी यह कार्य आगे बढ़ रहा है। यह वही मॉडल है, जो लोकमाता ने हम सभी के सामने प्रस्तुत किए थे। पहले भारत में छोटी-बड़ी और अलग अलग राजनीतिक इकाइयां रही हैं। भारत में भले ही राजनीतिक इकाइयां छोटी-बड़ी हों, लेकिन उत्तर से दक्षिण, पूरब से पश्चिम सम्पूर्ण भारत अनादि काल से एक रहा है।

भारत के रूप में अपनी मान्यता को सदैव बनाए रहा है। प्रभु श्रीराम, भगवान श्रीकृष्ण व आदि शंकराचार्य इसके उदाहरण हैं। देश की महान विभूतियांलोक आराध्या,लोक स्मरणीय बनकर पूजी जाती रहेंगी। जिस प्रकार आज देवी अहिल्याबाई की 228वीं पुण्यतिथि पर उनका स्मरण किया जा रहा है। भीष्म पितामह ने कहा ‘कालो वा कारणं राज्ञो राजा वा कालकारणम्। इति ते संशयो मा भूद्राजा कालस्य कारणम्। ’ राजा अपने समय की परिस्थितियों के रूप का निर्माण करता है। इसको लेकर किसी को कोई सन्देह नहीं होना चाहिए। राजा ही अपने समय के स्वरूप का निर्धारण करता है। वह अपने समय की परिस्थितियों का निर्माता होता है। इसलिए हमारे यहां एक सामान्य युक्ति प्रचलन में है ‘यथा राजा, तथा प्रजा’। जैसा शासक होगा, जैसी राजनीति होगी, देश में जिस प्रकार की बहार बहेगी, वैसी ही परिस्थितियां होंगी। योगी आदित्यनाथ ने आदर्श व्यवस्था के रूप में रामराज्य का उल्लेख किया। कहा कि प्रभु श्रीराम सनातन धर्म की शाश्वतता तथा सत्य की पराकाष्ठा हैं। भगवान श्रीराम की शाश्वतता पर कोई प्रश्न नहीं खड़ा कर सकता। अयोध्या में बनने वाला भगवान श्रीराम का भव्य मन्दिर इस बात का प्रमाण है।

भारत में रामराज्य एक आदर्श राजकीय व्यवस्था के रूप में मान्य है। जिसमें भेदभाव के लिए कोई स्थान नहीं है। पं दीनदयाल उपाध्याय जी ने अन्तिम पायदान पर बैठे हुए व्यक्ति के अन्त्योदय की बात की है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रभु श्रीराम आज भी हम सभी के आदर्श हैं। रामराज्य की अवधारणा भारत में आदर्श राज्य के रूप में मानी गयी है। भारत हजारों वर्षों से इस परम्परा को मानता आ रहा है। महात्मा गांधी ने कहा था कि रामराज्य में एक सामान्य नागरिक की बात होती है। किसी के साथ कोई भेदभाव नहीं होता, किसी के साथ कोई अन्याय नहीं होता। हर व्यक्ति परस्पर एक-दूसरे के साथ मिलकर अपनी व्यवस्था का संचालन करते हुए आगे बढ़ता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि श्रद्धेय अटल ने स्वर्णिम चतुर्भुज के रूप में भारत में एक अन्तरराष्ट्रीय स्तर का हाइवे बनाया। यह कार्य अटल ने आजादी के बाद प्रारम्भ किए। लेकिन भारत में हाइवे की परम्परा आज से लगभग दो हजार वर्ष पूर्व की थी। अपने कालखण्ड में चन्द्रगुप्त मौर्य ने भी दो पथ-उत्तर पथ एवं दक्षिण पथ बनवाए थे। उस समय जब उत्तर पथ तथा दक्षिण पथ था। एक पथ पाटलीपुत्र से तक्षशिला तक जा रहा था।

इसके कुछ अवशेष मिले हैं, जिसमें फिर से इकोनॉमिक कॉरिडोर का निर्माण करने जा रहे हैं। यह उत्तर प्रदेश में पूरब से पश्चिम को जोड़ने जा रहा है। यह एक नया कॉरिडोर विकसित होगा। इकोनॉमिक कॉरिडोर को विकसित करने की कार्यवाही को आगे बढ़ाया जा रहा है। उस समय आचार्य चाणक्य तक्षशिला से नालन्दा की यात्रा करने के लिए तीन चार दिन में पहुंच जाते थे। उस समय भी अच्छी सड़कों का निर्माण हो रहा था। दूसरा पथ दक्षिण तक था। उसके मार्ग भी चिन्ह्ति थे। उस कालखण्ड में भी इस भाव से भारतीय शासक जुड़ा था। भारत को जोड़ने के लिए शासन व्यवस्था कोई भी रही हो, अगर भारतीयता से ओत-प्रोत है, तो उसने सदैव लोक कल्याण को महत्व दिया, आगे बढ़ाने तथा उसे प्रेरित और प्रोत्साहित करने का कार्य किया। भारत की सांस्कृतिक सीमा सदैव से कहीं भी राजनीतिक बन्दिशों से जकड़ी नहीं रही। प्रधानमंत्री द्वारा हर घर में शुद्ध पेयजल की उपलब्धता हेतु हर घर नल योजना लागू की गई है। पाइप द्वारा पेयजल की यह योजना अकल्पनीय है। पहले उत्तर प्रदेश के बुन्देलखण्ड क्षेत्र में माताओं को पांच पांच किलोमीटर दूर से पानी लाना पड़ता था। पूरे क्षेत्र में पानी सूख जाता था।

आज बुन्देलखण्ड क्षेत्र में हर घर तक शुद्ध पेयजल उपलब्ध हो रहा है। हर खेत तक पानी पहुंच रहा है। आज बुन्देलखण्ड हाइवे से जुड़ चुका है। कल ही बुन्देलखण्ड में नए औद्योगिक परिक्षेत्र के निर्माण की घोषणा की गई है। यहां पर आगामी वर्षों में लगभग पांच लाख करोड़ रुपये का निवेश होगा। इसके अलावा योगी आदित्यनाथ ने इन्दौर में छत्रपति शिवाजी महाराज वाटिका स्थल व छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा का लोकार्पण किया। उन्होंने कहा कि शिवाजी महाराज का शौर्य और पराक्रम लोगों को सदैव राष्ट्रवाद के पथ पर अग्रसर रहने की प्रेरणा प्रदान करता रहेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रेरणा से ही भारतीय नौसेना ने अंग्रेजों के कालखण्ड से चले आ रहे अपने चिन्ह को हटाकर छत्रपति शिवाजी महाराज की नौसेना के चिन्ह को अंगीकार किया है। उत्तर प्रदेश सरकार आगरा में छत्रपति शिवाजी महाराज के नाम पर एक भव्य म्यूजियम का निर्माण करा रही है, जो शिवाजी महाराज की वीरता और उनके पराक्रम के साथ-साथ भारत के इतिहास के प्रति गौरव की अनुभूति कराने वाला होगा।

इस वर्ष हिन्दवी स्वराज के संस्थापक छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक के 350 वर्ष पूर्ण होने का उत्सव पूरे देश में मनाया जाएगा। इसकी शुरूआत आज देवी अहिल्याबाई होल्कर के शहर इन्दौर ने कर दी है। छत्रपति शिवाजी महाराज ने हिन्दवी स्वराज की स्थापना उस समय क्रूर और बर्बर शासन-सत्ता को चुनौती देकर की थी। आज भी उसी श्रद्धा व सम्मान के साथ छत्रपति शिवाजी महाराज को हम सभी स्मरण करते हैं, जिस गौरव व सम्मान के साथ उस कालखण्ड में हिन्दवी स्वराज के प्रति प्रत्येक भारतवासी करता था। शिवाजी ने लोक कल्याण,प्रजा के प्रति समर्पण भाव के साथ भारत के राष्ट्रवाद को एक नई ऊंचाई तक पहुंचाने का कार्य किया था। आज पूरी दुनिया बदलते हुए भारत को और भारत के नेतृत्व को देख रही है। नये भारत का दर्शन कर रही है। नया भारत लोक मंगल, विश्वकल्याण, वसुधैव कुटुम्बकम् के भावों को अंगीकार करते हुए आगे बढ़ रहा है और दुनिया को आकर्षित कर रहा है।

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