कारागार विभाग में प्रमोशन के बाद भी नहीं होते स्थानातरण!

  • प्रोन्नत पाए कर्मियों के लिए आला अफसरों का आदेश ठेंगे पर
  • एक परिक्षेत्र में 15=20 साल से जमे कई वरिष्ठ व प्रधान सहायक

राकेश यादव

लखनऊ। प्रदेश के कारागार विभाग में आला अफसरों के आदेश का कोई मायने ही नहीं है। इस विभाग में अधिकारियों के आदेश का अनुपालन ही नहीं होता है। विभाग में ऐसे तमाम अधिकारी और कर्मचारी है जिन्हें प्रमोशन दिया गया लेकिन इनका स्थानांतरण ही नहीं किया गया। ऐसा तब हो रहा है जब प्रोन्नत आदेश में स्पष्ट रूप से लिखा होता है कि प्रोन्नत कर्मियो को जल्दी ही अन्यत्र स्थानांतरित किया जाएगा। हकीकत यह है कई कर्मचारी और अधिकारी एक नहीं दो दो बार प्रोन्नति पाने के बाद इन्ही स्थानों पर जमें हुए है जहां उन्हें प्रमोशन दिया गया।

करीब चार साल पहले कानपुर जेल अधीक्षक आशीष तिवारी को लखनऊ जिला जेल स्थानांतरित किया गया। स्थानांतरण के कुछ समय बाद ही उन्हें अधीक्षक से वरिष्ठ अधीक्षक के पद पर प्रोन्नत कर दिया गया। शासन ने पहले तो वरिष्ठ अधीक्षक के पद वाली जेल पर अधीक्षक की गलत तैनाती कर दी। उसके बाद प्रमोशन देने के बाद उन्हें अन्यत्र स्थानांतरित ही नहीं किया गया। ऐसा तब किया गया जब एक जेल अधीक्षक का एक जेल पर तीन साल तैनाती का कार्यकाल निर्धारित है। प्रमोशन पाने के बाद भी वह पिछले चार साल से इसी जेल पर जमे हुए हैं।

इसी प्रकार आगरा परिक्षेत्र में तैनात रंजना कमलेश, बरेली परिक्षेत्र में तैनात स्नेह शर्मा को इन्ही परिक्षेत्र में तैनात रहने के दौरान एक नहीं दो तीन प्रमोशन दिए गए। इन लिपिक संवर्ग के कनिष्ठ, प्रधान और वरिष्ठ पद पर प्रोन्नत जरूर किया गया लेकिन इन्हें आज तक अन्यत्र स्थानांतरित नहीं किया गया। इनके प्रमोशन आदेश में स्पष्ट रूप से लिखा गया कि जल्दी ही इन्हे अन्यत्र स्थानांतरित किया जाएगा। स्थानांतरण नहीं होने से यह दोनों ही पिछले 15 से 20 साल से इन्ही परिक्षेत्र में जमी हुई हैं। आगरा परिक्षेत्र में रंजना कमलेश और पंकज शर्मा, बरेली परिक्षेत्र में स्नेह शर्मा का काकस बना हुआ है। इनके काकश का खामियाजा परिक्षेत्र में तैनात वार्डर और हेड वॉर्डर के साथ अन्य कर्मियों को भुगतना पड़ रहा है। आलम यह है कि वर्षो से जमे यह बाबू बगैर लेनदेन के कोई काम ही नहीं करते है। इसी प्रकार जेल मुख्यालय में आरती और सुधा समेत कई का प्रमोशन के बाद स्थानांतरण नहीं किया गया है। उधर डीआईजी जेल मुख्यालय अरविंद कुमार सिंह का कहना है कि इसकी जांच कराई जाएगी। जांच में दोषी पाए जाने वाले कर्मियो को अन्यत्र स्थानांतरित किया जाएगा।

लखनऊ से अलीगढ़, गाजियाबाद जाने की फिराक में,

प्रमोशन के बाद पिछले चार साल से लखनऊ जेल में जमें वरिष्ठ अधीक्षक आशीष तिवारी जुगाड और धनबल के सहारे गाजियाबाद या अलीगढ़ जाने की जुगत में लगे है। सूत्रों का कहना है कि लखनऊ में कार्यकाल पूरा हो जाने और चुनाव के लिए लगने वाली आचार संहिता के पहले वह अपना स्थानांतरण अधिक कमाऊ वाली जेल पर करवाने की फिराख में जुटे हुए है। इसमें वह कोई कोर कसर बाकी नहीं रख रहे। वह अपने मकसद में सफल होंगे या नहीं यह तो आने वाला समय बताएगा। फिलहाल यह मामला विभागीय अफसरों में चर्चा का विषय बना हुआ है। चर्चा तो यह भी है तमाम घटनाओं के बाद जब कोई कार्यवाही नहीं हुई तो तबादला भी हो ही जायेगा।

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