रक्षाबंधन पर्व और एक सैनिक के दिल से निकले उद्गार, नम हो जाएंगी आंखें

रक्षा बन्धन पर भाई की कामना


कर्नल आदि शंकर मिश्र
कर्नल आदि शंकर मिश्र

रक्षा बंधन का पावन प्यारा
दिन आता है हर साल यहाँ,
बहन बाँधती है राखी इस दिन
अपने भइया को हर साल जहाँ।

मेरी दीदी तो नहीं रहीं अब,
तो मैं किस से राखी बँधवाऊँ,
रक्षा बंधन के पावन दिन अब
मैं किसको अपनी बहन बनाऊँ।

परम्परा है रही यहाँ की कि एक
छोड़ कर सब हैं माताएँ बहनें,
अर्धांगिनी के साथ में सब माताओं,
बहनों को मैं अपना शीष झुकाऊँ।

भारत का सैनिक होने के नाते वैसे
तो मेरी बहने हैं सब माताएँ, बहने,
जिनकी रक्षा का वचन दे चुका है,
हर पुरुष यदि वह भारतीय सैनिक है।

राखी का त्योहार मनाकर आओ
सब मिल आपस का प्रेम बढ़ायें,
पवित्रता की हम सभी शपथ लें,
भारत की धरती को स्वर्ग बनायें।

सदियों से राखी के पावन दिन भाई
के मस्तक पर बहन लगाती चंदन टीका,
और नहीं होने पाता है ऐसे ही बहन
भाई के बीच पावन प्रेम कभी फीका।

राखी के पावन बंधन को हर भाई
को जीवन भर सदा निभाना होगा,
दुनिया की हर एक हमारी बेटी को
पढ़ा लिखा कर योग्य बनाना होगा।

बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ मात्र
एक नारा नही बनकर रह जाये,
आदित्य आत्मनिर्भर हो हर बेटी,
पुरुषों के समकक्ष खड़ी वह हो पाये।

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