कविता: अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य में,

कर्नल आदि शंकर मिश्र
कर्नल आदि शंकर मिश्र

दुनिया का सम्मान है नारी,
धरती माँ रूप का है नारी,
लक्ष्मी जी स्वरूप है नारी,
माँ दुर्गा का शौर्य है नारी ।

दुनिया की पहचान है नारी,
घर परिवार की शान है नारी,
माता, बहन, पत्नी, बेटी बनकर
हर परिवार का अभिमान है नारी ।

नारी तो साक्षात श्रद्धा शक्ति स्वरूपा है,
बहन, बुआ, भाभी, काकी, दादी, नानी,
चाची, मामी, बेटी व पत्नी अनेक रूपा है,
नारी यदि माँ है तो साक्षात परमात्मा है।

नारी निंदा मत करो नारी नर की खान,
नारी से नर होत हैं, ध्रुव प्रह्लाद समान।
विधना की सुंदरतम रचना जग में
सूरज चाँद हैं दिखते,
उनका वर्णन न कर सकता कोई, करे
तो जग के मूरख लगते।

उसी प्रकृति ने की है नारी की रचना,
उसे जानने समझने का अद्भुत गुण,
जिसकी तुलना किसी से करना भी
प्रकृति को झुठलाने जैसा है दुर्गुण।

नारी को समझना जानना शायद
अच्छा हो, कुतर्क करना ठीक नहीं,
सीता, राधा, लक्ष्मी, पार्वती व दुर्गा
पर करें गर्व उनको झुठलाना ठीक नहीं।

कविता : लिखा परदेश किस्मत में वतन की याद क्या करना,

धीरज धरम मित्र अरु नारी।
आपदकाल परखिए चारी ॥
यात्रा में ज्ञान, घर में अपनी घरवाली।
दवा रोग में, मरने पर धर्म बलशाली॥

अफसोस यह कि कोई भी कीमत
किसी का अतीत नहीं बदल सकती है,
और चिंता करने से कोई भी कीमत
भविष्य को भी नहीं बदल सकती है।

जिस एक तालाब में हंस मोती चुनता है,
उसी तालाब में बगुला मछली चुगता है,
नर से नारी के अस्तित्व का अटूट नाता है,
नर के बिना नारी, नारी बिन नर अधूरा है।

नर और नारी एक ही संसार के दो
संपूरक और परस्पर स्वरूप होते हैं,
शिव स्वरूप अर्धनारीश्वर भी आदित्य,
शिव पार्वती के परस्पर संपूरक हैं।

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