बदलते मौसम में बच्चों की देखभाल

डॉ. महेश नारायण गुप्त
डॉ. महेश नारायण गुप्त

रीडर ,बाल रोग विभाग,राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय एवं चिकित्सालय तुड़ियागंज लखनऊ ,उत्तर प्रदेश

ऋतु संधि अर्थात मौसम के परिवर्तन काल में रोगों के होने की संभावना सर्वाधिक रहती है इसलिए बदलते मौसम में स्वास्थ्य की विशेष चिंता करना आवश्यक हो जाता है। बड़ों की अपेक्षा बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है ,इसलिए ऋतु के अनुसार भोजन तथा रहन-सहन पालन करने से ऋतु जन्य रोगों से बचाव किया जा सकता है। इस शरद ऋतु में दिन में तापमान सामान्य रहता है तथा गर्मी भी रहती है परंतु रात में तापमान कम हो जाता है जिससे ठंडी हवा के संपर्क में आने से सर्दी ,जुकाम ,बुखार ,निमोनिया ,पसली चलना ,खांसी ,उल्टी ,दस्त आदि रोग बच्चों को परेशान करते हैं । इससे बचाव हेतु बच्चों को पूरे कपड़े पहनाएं । पंखे ना चलाएं या धीमी गति से चलाएं । एसी का प्रयोग ना करें । मच्छरदानी लगाकर सोए। दिन में नहीं सोना चाहिए। इस ऋतु में पित्त दोष प्रकुपित होता है ,इसलिए भोजन में कड़वा, खट्टा ,नमकीन पदार्थ कम लेना चाहिए। भोजन हल्का ,सुपाच्य तथा मधुर तिक्त कषाय रस युक्त लेना चाहिए ।

इस ऋतु में मिश्री के साथ हरीतकी का सेवन हित कारक होता है।

घरेलू औषधियों में दूध के साथ हल्दी को मिलाकर पिलाना चाहिए।

सर्दी जुकाम में अदरक के रस को शहद के साथ चटाना चाहिए।

दस्त लगने पर जायफल को घिसकर शहद के साथ या मां के दूध के साथ चटाना चाहिए।

उल्टी आने पर इलायची के चूर्ण को शहद के साथ चटाएं।

भोजन में चावल, जौ, गुड ,मुंगफली ,खजूर ,मेथी तोरई, परवल ,करेला ,कद्दू , लौकी का प्रयोग करना चाहिए।

इस ऋतु में जगह-जगह वर्षा ऋतु के बाद जलभराव की स्थिति रहती है इसमें मच्छर अधिक पनपते हैं।

खाली पड़े कंटेनर ,कूलर आदि की पानी साफ कर दें।

जलजमाव ना होने दें, मच्छरों के पैदा होने के स्थान को नष्ट कर दें।

डेंगू से बचाव के लिए सुबह और शाम मच्छरों के काटने से विशेष रूप से बचना चाहिए। प्रातः काल एवं सायंकाल खिड़कियां और दरवाजे बंद कर रखें जिससे मच्छर घर के भीतर प्रवेश ना कर सकें। खिड़कियों और दरवाजों पर जालिया लगवाएं ,मच्छरदानी लगाकर सोए। शरीर पर सरसों का तेल लगाकर सोने से मच्छरों का प्रकोप कम होता है । डेंगू हो जाने पर तरल पदार्थ अधिक मात्रा में लेना चाहिए जैसे नारियल पानी ,नींबू पानी, शिकंजी ,नमक चीनी पानी का घोल थोड़ी थोड़ी देर में लेते रहना चाहिए। प्लेटलेट बढ़ाने हेतु पपीते की दो पत्तियों का रस निकाल कर प्रातः काल सेवन करना चाहिए। बकरी का दूध 50 से 100ml तक प्रतिदिन लिया जा सकता है ।इसके अलावा गिलोय का काढ़ा ,गिलोय घनवटी, संशमनी वटी, महासुदर्शन घन वटी ,आयुष 64 का प्रयोग किया जा सकता है। ज्वर को कम करने हेतु अमृतारिष्ट 15 से 30 एम एल की मात्रा में बड़ों को तथा 5से 7एम एल की मात्रा में बच्चों को पानी मिलाकर भोजन के पश्चात सेवन कराना चाहिए।

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